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Saturday, November 14, 2020

हो विद्रोह (1820-21) ई0(Ho Vidroh-1820-21)


हो विद्रोह 1820-21 ई0


➤हो लोगों का निवास स्थल 'हो देशम' (हो जाति का देश) या 'कोल्हान' (कोल-स्थान) के नाम से जाना जाता था

हो देशम /कोल्हान पर मुगलों या मराठों का कभी अधिकार नहीं रहा था

यद्यपि पोरहाट के सिंह राजाओं का इन पर प्रभाव था, किंतु वे सिंह वंश के समकक्ष थे ना कि अधीनस्थ 

➤वे सिंह राजाओं को कोई  नियमित कर नहीं देते थे, केवल समय-समय पर कुछ भेंट/ उपहार दे देते थे 

➤बाह्य  नियंत्रण से दीर्घकाल तक मुक्त रहने के फलस्वरुप हो  स्वतंत्राप्रेमी और लड़ाकू स्वभाव के हो गए थे 

इसी कारण कंपनी काल में यह 'लड़ाका कोल' के नाम से प्रसिद्ध थे

➤सिंहभूम  के राजा के आग्रह पर वर्ष 1820 में पॉलिटिकल एजेंट मेजर रफसेज एक सेना के साथ हो देशम में प्रविष्ट हुआ

चाईबासा के निकट रोरो नदी के तट पर हो लोगों से हुई लड़ाई में अंग्रेजी विजय हुए 

इस दमन के बावजूद हो देशम के उत्तरी भाग के हो पोरहाट  के राजा को कर देने के लिए सहमत हुए 

दक्षिणी कोल्हान के हो लोगों ने अंग्रेजों का विरोध करना जारी रखा

हो लोगों ने सीमावर्ती राज्यों के इलाकों में उपद्रव मचाना शुरू कर दिया 

हो लोगों की इन गतिविधियों के फलस्वरुप पोरहाट राजा को पुनःमेजर रफसेज से सहायता की याचना करनी पड़ी 

परिणाम स्वरुप 1821 ईस्वी में कर्नल रिचर्ड के नेतृत्व में एक बड़ी सेना हो लोगों के विरुद्ध भेजी गई

हो लोगों ने रिचर्ड का एक महीने तक सामना किया किंतु अंतर्विरोध को निरर्थक जानकर कंपनी से संधि करना बेहतर समझा 

संधि की प्रमुख शर्तें थी

1) हो लोगों ने कंपनी की अधीनता को स्वीकार किया 

2) हो लोगों ने अपने राजाओं और जमींदारों को 8 आना (50 पैसे) प्रति हल सालाना कर देना स्वीकार किया 

इस संधि के बावजूद कोल्हान में गड़बड़ी समाप्त नहीं हुई 1831- 32 ईसवी में हो लोगों ने कोल विद्रोह में सक्रिय भाग लिया 

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