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Friday, July 2, 2021

Jharkhand Audyogik Niti-2012 (झारखंड औद्योगिक नीति -2012)

Jharkhand Audyogik Niti-2012

➧ झारखंड की दूसरी औद्योगिक नीति की घोषणा 2012 में की गई 

➧ यह नीति आगामी 5 वर्षों के लिए घोषित की गई थी 

प्रमुख उद्देश्य 

1. झारखंड को निवेश के लिए पसंदीदा स्थान बनाना 

2. सतत  औद्योगिक विकास करना

3. वृहद-सुक्ष्म-लघु उद्योगों के बीच बेहतर तालमेल की स्थापना करना 

4. राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का अनुकूलतम दोहन करना 

झारखंड औद्योगिक नीति -2012

5. रोजगार प्रधान उद्योगों जैसे :- रेशम, हथकरघा, खादी ग्राम उद्योग को बढ़ावा देना

6. पर्यावरण की दृष्टि से प्रदूषण मुक्त उद्योगों को बढ़ावा देना जैसे :- पर्यटन, आईटी, बायोटेक्नोलॉजी आदि

7. खाद्य प्रसंस्करण उद्योग जैसे :- बागवानी, फूलों की खेती को बढ़वा देना 

8. आर्थिक विकास लाभ में SC/ST लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना 

9. नवोनमेषि (Enovation) तकनीकी के विकास पर बल 

10. क्षेत्रीय विषमता समाप्त करना

11. कानून व्यवस्था में सुधार करना 

12. सरकारी कानून का सरलीकरण करना 

13.विकास के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पीपीटी मोड(PPP MODE) को विकसित करना

14. निजी निवेश से कौशल विकास करना जैसे - इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, आईटीआई स्थानों की स्थापना

सफलता के लिए कार्ययोजना (Action Plan)

1. राज्य आधारभूत संरचना जैसे :- सड़क, बिजली, पानी आदि पर बल देगी 

2. निर्णय को सरल बनाने हेतु सिंगल विंडो सिस्टम (एकल खिड़की) की व्यवस्था करेगी (झारखंड सरकार द्वारा 2015 में इसे लागू किया गया तथा ऐसा करने वाला यह भारत का प्रथम राज्य बना) 

3. वित्तीय लाभ को युक्तियुक्त बनाना  

4. औद्योगिक विकास क्षेत्र, पार्क, जैसे आधारभूत संरचना का निर्माण करना

5. बीमार एवं रुग्ण इकाइयों की पहचान कर उनका संरक्षण करना 

6. मध्यम-लघु-सूक्ष्म उद्योगों  के लिए संकुल बनाना  

7. विस्थापन एवं पुनर्वास नीति, 2008 में सुधार करना 

सफलता हेतु महत्वपूर्ण प्रयास

➧ सरकार जिला स्तर पर भूमि बैंक बनाएगी तथा 200-500 एकड़ जमीन अधिग्रहण करेगी, ताकि जिले में आधारभूत औद्योगिक संरचना खड़ी की जा सके

➧ सरकार कृषि भूमि के अधिग्रहण से परहेज करेंगी 

➧ भूमि बैंक का अधिकतर उद्योग सरकारी उद्यम के लिए होगी अतिरिक्त भूमि रहने पर निजी निवेशकों को भी दिया जाएगा

 सरकारी भूमि का हस्तांतरण 30 वर्ष के पट्टे पर होगी 

➧ लीज के नियम एवं शर्तों का निर्धारण राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग करेगा 

➧ 5 वर्ष के अंदर अगर निवेशक भूमि का उपयोग नहीं किए तो भूमि वापस ले ली जाएगी 

➧ सरकार ने भूमि अधिग्रहण के लिए सीएनटी(CNT) और एसपीटी (SPT) एक्ट में संशोधन भी किया है 

इस संशोधन के अनुसार

(i) सरकार उद्योग एवं खनन के अलावे दूसरे विकास कार्यों के लिए भी CNT/SPT एक्ट के तहत आने वाले भूमि को अधिग्रहित कर सकेगी

(ii) सीएनटी/एसपीटी एक्ट के तहत आने वाले भूमि को मालिक, कृषि के अलावे उसपर व्यवसायिक उपयोग भी कर सकेगा तथा अपनी भूमि को रेंट पर दे सकेगा। हालांकि उसका मालिकाना हक़ उस पर सुरक्षित रहेगा 

स्थानीय खनिज उन उद्योगों को दिया जायेगा जो राज्य से संबंधित हो

➧ औद्योगिक इकाइयों के लिए नियम बनेगा की वे न्यूनतम जल का उपयोग करें या फिर तकनीक द्वारा जल का पुनर्चक्रण करें  

➧ सरकार ने कोडरमा - बहरागोड़ा एवं पतरातु - रांची - रामगढ़ औद्योगिक गलियारों को चिन्हित किया है  

➧ निजी  प्रोत्साहन से औद्योगिक पार्क के लिए भी प्रयास किया जा रहा है  

➧ आदित्यपुर में सरकार ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्र (SEZ) खोल रही है  

➧ भूमि अधिग्रहण का कार्य करने तथा आधारभूत संरचना को खड़ा करने के लिए सरकार ने औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण आईआरडीए(IRDA) गठित किया है यह - 

(i) सड़क, पार्क, ड्रेनेज, तथा जलापूर्ति औद्योगिक क्षेत्र में बहाल करेगी 

(ii30 वर्ष के लिए भूमि देने तथा उसका नवीनीकरण करने का कार्य ही संस्था करेगी  

(iiiउपयुक्त मद में भूमि का उपयोग हुआ या नहीं जाँच करेगा  

(ivयह न्यूनतम 1000 एकड़ भूमि अधिग्रहित करेगा, जिसका 40% सूक्ष्म एवं लघु उद्योग के लिए आरक्षित होगा। शेष  औद्योगिक क्षेत्र, पार्क बनाने में खर्च होगा  

(v) 10% भूमि उन लोगों के लिए आरक्षित रखेगा जो अपना भूमि खोये हुए हैं और शर्तों पर एक एकड़ में औद्योगिक इकाई खोलने के इच्छुक हैं, हालांकि निरीक्षण उपरांत भूमि आवंटन रद्द करने का अधिकार भी इसी संस्था के पास होगा  

(vi) सूक्ष्म एवं लघु उद्योग 2 वर्ष के अंतर्गत भूमि का उपयोग नहीं किये तो ऐसे में उसका आवंटन भी रद्द कर सकता है 

➧ उद्योगों के विकास में स्थानीय लोगों की भागीदारी स्किल डेवलपमेंट पर निर्भर करता है ऐसे में राज्य-

(i) 13 पॉलिटेक्निक कॉलेज स्थापित किया है

(ii) 17 पॉलिटेक्निक कॉलेज का निर्माण कार्य जारी है

(iii) कई प्राइवेट संस्थानों को कॉलेज खोलने की अनुमति दी गई है 

(iv) रांची और दुमका में मिनी टूल रूम की स्थापना की गई है 

(v) प्राइवेट संस्थान को सरकार भूमि का 50% लागत ही देगी ऐसे संस्थानों में 25% सीट झारखंड के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध रहेगा

➧ ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने के लिए सरकार राज्य विद्युत नियामक आयोग बनाई है इसके अनुसार-

(i) राज्य में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 552 किलोवाट प्रति घंटा है जिसे बढ़कर 800 किलोवाट प्रति घंटा करना है 2019 तक सभी गांव को विद्युतीकरण करना है

(ii) कुल ऊर्जा उत्पादन का 10% नवीकरणीय स्रोतों से विकसित करना है 

➧ राज्य सरकार ने झारखंड के खनिज संपदा की प्राप्ति तथा उद्योगों के आधार पर 8 क्षेत्रों में बांटा है:-

(1) पलामू, गढ़वा क्षेत्र :- लौह अयस्क, निक्षेप, डोलोमाइट, कोयला, चाइना कले  ग्रेनाइट ग्रेफाइट

(2) लोहरदगा-लातेहार क्षेत्र :- अल्युमिनियम उद्योग, ऊर्जा इकाई 

(3) राँची :- IT, Food Processing, मध्यम एवं वृहत उद्योग 

(4) कोडरमा-हजारीबाग क्षेत्र :- अभ्रक, ग्लास, ऊर्जा, सीमेंट, टेलीकॉम, इस्पात 

(5) धनबाद-बोकारो क्षेत्र  :- कोयला, इस्पात, ऊर्जा

(6) सिंहभूम (जमशेदपुर) सहित कोल्हान क्षेत्र :- सोना, IT, वन उत्पाद, सिल्क, Food Processing, टेक्सटाइल 

(7) घाटशिला क्षेत्र :- तांबा और वन 

(8) देवघर-जसीडीह एवं संथाल परगना क्षेत्र :- तेल मिल, ग्लास, स्टील, मेडिसिन, कोल ऊर्जा, सिल्क, कपड़ा

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Thursday, July 1, 2021

Jharkhand Me Pratham (झारखंड में प्रथम)

Jharkhand Me Pratham

झारखंड का प्रथम साहित्य उल्लेख       -      ऐतरेय ब्राह्मण में  पुण्ड्र नाम से

➦ झारखंड शब्द का प्रथम प्रमाण             -      तेरहवीं सदी के ताम्रपत्र पत्र में 

➦ झारखंड में अंग्रेजों का प्रथम प्रवेश        -      सिंहभूम (1761 ईस्वी) 

➦ प्रथम जनजातीय विद्रोह                      -      ढाल विद्रोह (1767-1777 ईस्वी) 

Jharkhand Me Pratham (झारखंड में प्रथम)

 अंग्रेजों के विरुद्ध प्रथम विद्रोह              -       ढाल विद्रोह (1767-1777 ईस्वी) 

➦ प्रथम सुसंगठित जनजातीय विद्रोह     -       कोल विद्रोह (1831-32 ईसवी)

1857 ईस्वी के विद्रोह का सर्वप्रथम प्रारंभ  -   रोहिणी गांव में घुड़सवार सैनिकों द्वारा (12 जून,1857 ई.) 

 राज्य निर्माण हेतु प्रथम प्रयास                -   जयपाल सिंह द्वारा (1939 ई.)

 प्रथम राज्यपाल                                     -   प्रभात कुमार 

➦ प्रथम कार्यवाहक राज्यपाल                    -   विनोद चंद्र पांडे

 झारखंड उच्च न्यायालय के प्रमुख मुख्य न्यायाधीश -   विनोद कुमार गुप्ता 

 प्रथम महिला मुख्य न्यायाधीश              -   ज्ञान सुधा मिश्र

 प्रथम मुख्यमंत्री                                    -    बाबूलाल मरांडी (भाजपा)

 प्रथम निर्दलीय मुख्यमंत्री                      -    मधु कोड़ा 

➦ प्रथम विधानसभा अध्यक्ष                      -    इंदर सिंह नामधारी

 प्रथम विधानसभा उपाध्यक्ष                   -    बागुन सुम्ब्रई 

 प्रथम प्रोटेम स्पीकर                               -   विशेश्वर खान 

➦ प्रथम मनोनीत विधानसभा सदस्य          -  जोसेफ पेचेल गालस्टीन (एंग्लो-इंडियन)

 प्रथम विपक्ष के नेता                                -  स्टीफन मरांडी 

 झारखंड सरकार में प्रथम महिला मंत्री      -  जोबा मांझी

 प्रथम महाधिवक्ता                                  -  मंगलमय बनर्जी

 प्रथम मुख्य सचिव                                  -  विजय शंकर दुबे 

➦ प्रथम पुलिस महानिदेशक                       -  शिवाजी महान कैरे 

➦ प्रथम लोकायुक्त                                    -   न्यायमूर्ति लक्ष्मण उरांव 

➦ जेपीएससी के प्रथम अध्यक्ष                    -  फटीक चंद्र हेंब्रम 

➦ राज्य महिला आयोग की प्रथम अध्यक्ष   -  लक्ष्मी सिंह 

➦ पद्म श्री सम्मान पाने वाला प्रथम आदिवासी  - जुएल लफड़ा 

➦ प्रथम परमवीर चक्र प्राप्तकर्ता                  -   अल्बर्ट एक्का 

➦ प्रथम अशोक चक्र प्राप्तकर्ता                     -   रणधीर वर्मा 

➦ प्रथम अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी हॉकी महिला खिलाड़ी   -   सावित्री पूर्ति

 प्रथम महिला हॉकी खिलाड़ी जिसने ओलंपिक खेला   -   निक्की प्रधान

 प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला एथलीट             -    विजय नीलमणि खालखो 

➦ प्रथम अंतर्राष्ट्रीय महिला अंपायर             -    असुंता लकड़ा 

➦ एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम महिला        -    प्रेमलता अग्रवाल 

➦ प्रथम शतरंज खिलाड़ी जो विश्व विजेता बना  -  दीप सेनगुप्ता

छऊ नृत्य का विदेश में प्रथम प्रदर्शन           -    सुधेन्द्रु नारायण सिंह द्वारा (1938 ई.)

➦ प्रथम क्रांतिकारी जिन्हें पकड़ने के लिए 
अंग्रेजों ने ₹1000 इनाम की घोषणा की             -    बुधु भगत (कोल विद्रोह)

➦ प्रथम परखनली शिशु                                  -    आशीष सिंह 

➦ प्रथम हिंदी मासिक                                     -    घरबंधु 

➦ प्रथम हिंदी दैनिक                                        -   राष्ट्रीय भाषा 

➦ प्रथम अंग्रेजी दैनिक                                    -    डेली प्रेस 

➦ प्रथम हिंदी सप्ताहिक                                  -   आर्यावर्त 

 प्रथम फिल्म                                               -   आक्रांत 

➦ प्रथम नागपुरी फिल्म                                  -   सोनाकर नागपुर 

➦ प्रथम संथाली फिल्म                                   -   मुख्य बाह्य

 ➦ प्रथम विश्वविद्यालय                                -   रांची विश्वविद्यालय

 प्रथम कृषि विद्यालय                                 -  बिरसा कृषि विश्वविद्यालय

➦ प्रथम महाविद्यालय                                   -  संत कोलंबा महाविद्यालय, हजारीबाग 

➦ प्रथम चिकित्सा महाविद्यालय                    -  राजेंद्र चिकित्सा महाविद्यालय, रांची (रिम्स)

 प्रथम आयुर्वेद महाविद्यालय                       -  राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, लोहरदगा

 प्रथम तांबा कारखाना                                   -  घाटशिला 

➦ प्रथम बिजली घर                                         -   तिलैया         


➦ पठारी क्षेत्रों में खनन करके निर्मित प्रथम रेल मार्ग   -  जमशेदपुर से हावड़ा 

➦ प्रथम सीमेंट उद्योग                                   -   जपला सीमेंट उद्योग 

➦ प्रथम नगरपालिका                                     -   रांची नगरपालिका (1869 ईस्वी)

 प्रथम नगर निगम                                      -   रांची नगर निगम (1979 ईस्वी)

 रांची की प्रथम महिला मेयर                        -    रमा खलखो

 ऑस्ट्रेलियन इंडीवर फैलोशिप                     -   निमिश त्रिपाठी 

 सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले राज्य के प्रथम निवासी   -  न्यायधीश एम, वाई.  इकबाल 

 प्रथम महिला फास्ट ट्रेक कोर्ट                      -   रांची 

 प्रथम महिला डाकघर                                  -   जमशेदपुर

 राज्य में फास्ट ट्रैक कोर्ट की प्रथम महिला न्यायधीश     -   सीमा सिन्हा

 प्रथम ईसाई मिशन                                     -   गोसनर मिशन 


➦ सर्वप्रथम कोयला खनन                              -    झरिया (धनबाद)

 प्रथम हवाई अड्डा                                       -   बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (रांची)
 
➦ प्रथम दूरदर्शन केंद्र                                      -   रांची

 प्रथम जल विद्युत परियोजना                     -    तिलैया जल विद्युत परियोजना





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Jharkhand Ke Vividh Tathya- Part-1(झारखंड के विविध तथ्य)

Jharkhand Ke Vividh Tathya(Part-1)

(1) विवेकानंद की प्रतिमा स्थापित :- राजधानी रांची में 12 जनवरी, 2019 ईस्वी को युवा दिवस के अवसर पर बड़ा तालाब में स्थित टापू पर विवेकानंद की 30 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित की गई है

➧ इस प्रतिमा के मूर्तिकार राम वी.सुतार हैं 

Jharkhand Ke Vividh Tathya- Part-1(झारखंड के विविध तथ्य)

(2) जोहार (JOHAR -Jharkhnad Opportunities For Harnessing Rural Growth) परियोजना :- राज्य स्थापना दिवस पर डेढ़ हजार करोड़ की जोहार( Jharkhnad Opportunities For Harnessing Rural Growth) परियोजना का शुभारंभ किया है

➧ इस योजना का लक्ष्य 2 लाख ग्रामीण परिवारों की कृषि एवं गैर-कृषि आजीविका संबंधी गतिविधियों सहित उत्पादों में विविधता एवं उत्पादकता बढ़ाते हुए उनकी आय को दोगुना करना है 

➧ इसके अंतर्गत नीति आयोग द्वारा चयनित राज्य के 19 पिछड़े जिले का समग्र विकास किया जाए जायेगा 

(3) इटखोरी महोत्सव -19, 20 एवं 21 फरवरी, 2018 को चतरा जिला स्थित इटखोरी के भद्रकाली मंदिर परिसर में इटखोरी महोत्सव का आयोजन किया गया

➧ इटखोरी में हिंदू, जैन और बौद्ध तीनों धर्म का संगम स्थल है

 यहां नवी शताब्दी में निर्मित मां भद्रकाली मंदिर, मंदिर परिषद में 1008 से अधिक शिवलिंग की आकृति स्थित है 

➧ यहां एक बौद्ध स्तूप है, जिस पर एक सौ से अधिक बुद्ध की आकृतियां बनी है यहां झारखंड सरकार ने विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप बनाने की घोषणा की है 

(4) नए प्रखंड का गठन :- वर्तमान में 264 प्रखंड को बढ़ाकर फरवरी, 2018 में 267 कर दिया गया है नए प्रखंड के तहत धनबाद सदर से अलग कर पुटकी धनबाद जिले के ही निरसा प्रखंड से अलग कर कलीयासोल एग्यारकुंड तथा जमशेदपुर के गोलमुरी-सह-जुगसलाई प्रखंड को दो प्रखंड में विभाजित कर जमशेदपुर और मानगो का गठन किया गया है

(5) स्किल यूनिवर्सिटी :- खूंटी जिला में स्किल यूनिवर्सिटी, इंजीनियरिंग कॉलेज एवं नॉलेज सिटी की स्थापना की जाएगी

(6) बोराबिन्दा टापू :- सरायकेला-खरसावां जिला स्थित चांडिल डैम को इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है

➧ इसका विकास भारत सरकार की स्वदेशी दर्शन स्कीम के अनुरूप राज्य सरकार द्वारा किया जाएगा । इस टापू पर राजा विक्रमादित्य की प्रतिमा स्थापित की जाएगी

(7) झारखंड आदर्श ग्राम :- राज्य में आरा और केरम गांव को आदर्श ग्राम बनाया गया है राज्य में 1000 गांवों  को आदर्श ग्राम बनाया जाएगा इन ग्रामों को नशामुक्त एवं खुले स्वच्छ खुले में शौच से मुक्त किया जाएगा

(8) निरोग बल वर्ष, 2018 :- वर्ष 2018 झारखंड में निरोग बाल वर्ग के रूप में मनाया गया इसके तहत कुपोषण से लड़ने का अभियान चलाया गया

(9) राइट टू सर्विस डिलवरी एक्ट :- इस एक्ट के तहत नागरिकों को 50 से अधिक सेवाएं ऑन-लाइन मिलने लगी है 

(10) झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017 :- राज्य कैबिनेट ने झारखंड धर्म स्वतंत्र विधेयक, 2017 के ड्राफ्ट की मंजूरी दी गई है

➧ इसके तहत जबरन धर्मांतरण कराने वाले को 3 साल की जेल या ₹50000 जुर्माना या दोनों का प्रावधान किया गया है

(11) ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट  :- अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर 12 जनवरी, 2018 से ब्राउन फील्ड प्रोजेक्ट शुरू किया गया है इसके तहत 800 युवाओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा

रांची स्थित पुनदाग में ग्रीन फील्ड प्रोजेक्ट के तहत ढाई से 3 वर्ष में विश्व स्तरीय प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया जाएगा

(12) नगरपालिका निर्वाचित प्रतिनिधि नियमावली में संशोधन :- 24 अक्टूबर, 2017 को राज्य सरकार ने झारखंड नगरपालिका निर्वाचित प्रतिनिधि नियमावली में संशोधन किया है 

➧ इसके तहत वैसे प्रतिनिधि जिनकी 8 अक्टूबर, 2013 तक 2 से अधिक बच्चे हैं, वे नगर निगम, नगर परिषद और नगर पंचायतों के निर्वाचित षार्षद  और जनप्रतिनिधियों के रूप में अयोग्य नहीं होंगे

(12) चाईबासा की बसंती गोप देश की सर्वश्रेष्ठ पारा लीगल वॉलेंटियर :- असहायों की मददगार होने के कारण चाईबासा में मदर टेरेसा के रूप में मशहूर बसंती को नई दिल्ली स्थित प्रवासी भारतीय केंद्र में आयोजित लीगल सर्विस डे के अवसर पर सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सर्वश्रेष्ठ पारा लीगल वॉलेंटियर सम्मान से नवाजा

➧ झालसा की ओर से उन्हें पहले ही झारखंड का सर्वश्रेष्ठ पारा लीगल वॉलेंटियर चुना जा चुका है 

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को झारखंड तीरंदाजी संघ का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है 

 साहिबगंज में कृषि महाविद्यालय स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है  

 वर्ष 2017-18 में 963 किलोमीटर पथों के निर्माण के पथ  घनत्व बढ़कर 145 किलोमीटर प्रति हजार वर्ग किलोमीटर हो गया है

 न्यायमूर्ति अनिरुध्द बोस को झारखंड हाईकोर्ट का 12वां  मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया है इन्हें 11 अगस्त 2018 ईस्वी को नियुक्त किया गया

 शिवधारी राम को झारखंड राज्य अनुसूचित जाति का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है

 20 अगस्त, 2018 ईस्वी को चंद्रमौली सिंह को झारखंड का महालेखाकार नियुक्त किया गया है 

 झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां ₹1 में महिलाओं के नाम पर 50 लाख तक की संपत्ति की रजिस्ट्री हो रही है 

"शक्ति पत" नामक पुस्तक का संबंध झारखंड में संचालित सखी मंडल से है

 मैक्सलुस्कीगंज स्थित दूली गांव में एक ही स्थान पर चारों धर्मों के पूजा स्थल है 

 नेतरहाट में कृषि केंद्र की स्थापना एवं जनजातीय प्रशासनिक प्रशिक्षण केंद्र बनाने की घोषणा की गई गई है

 GST Advisory Committee गठित करते हुए 1 जुलाई, 2017 से GST लागू किया जा चुका है

 झारखंड की राजधानी रांची में स्थित जैव विविधता उद्यान का नाम "धन्वंतरी औषधीय उद्यान" गया है 

 दोरोथिया केरकेट्टा या सिमडेगा जिला के स्वच्छता एंबेसडर के रूप में जाने जाते हैं

 गांव के युवाओं को सक्रिय करने के लिए पंचायती स्तरीय "कमल क्लब" का गठन किया गया है इसमें 18 से 40 वर्ष तक के युवाओं को सदस्य बनाया गया हैं

 आदिम जनजातियों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य में "आदिम जनजाति प्राधिकार समिति" बनायी गयी है

 13 मार्च, 2018 को राज्य सरकार ने चतरा जिले के टंडवा अंचल के दो राजस्व ग्रामों (बचरा उत्तरी एवं बचरा दक्षिणी) को मिलाकर बचरा नगर पंचायत का गठन किया गया है 

 झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 में संशोधन कर गिरिडीह जिला अंतर्गत धनवार अंचल के चार राजस्व गांव (धनवार,  मायाराम टोला, उपरैली औरबथुवाडीह) को मिलाकर धनवार नगर पंचायत एवं सरिया अंचल के राजस्व ग्राम बड़की सरैया को "बड़की सरैया" नगर पंचायत बनाया गया है

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Sunday, June 27, 2021

National Agriculture Market e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार e-NAM)

National Agriculture Market (e-NAM)

➧ 14 अप्रैल, 2016 ईस्वी को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन से एक राष्ट्रीय कृषि बाजार हेतु ई-व्यापार प्लेटफार्म (e-NAM) का पायलट आधार पर शुरू किया गया। 

➧ इसी देश के 8 राज्यों (उत्तर प्रदेश, गुजरात, तेलंगना, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, झारखंड और हिमाचल प्रदेश) 21 मंडियों को राष्ट्रीय कृषि बाजार के साझा प्लेटफार्म (ई-ट्रेडिंग पोर्टल) से जोड़ दिया गया है

National Agriculture Market e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार e-NAM)

 राष्ट्रीय कृषि बाजार का यह ई-व्यापार प्लेटफार्म कृषि विपणन क्षेत्र में सुधारों को प्रोत्साहित करेगा और इससे देशभर में किसी वस्तुओं के मुक्त प्रवाह के संवर्धन के साथ किसानों के उत्पादों के बेहतर विपणन की संभावनाओं में भी मदद करेगा

➧ उल्लेखनीय है कि आर्थिक मामलों पर मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा 1 जुलाई, 2015 को कृषि-तकनीकी अवसंरचना कोष (ATIF: Agri-Tech Infrastructure Fund) के माध्यम से 'राष्ट्रीय कृषि बाजार' की स्थापना हेतु केंद्रीय क्षेत्र योजना को 2015-16 से 2017-18 अवधि हेतु 200 करोड रुपए के परिव्यय के साथ स्वीकृति प्रदान की गई थी

 वर्ष 2018-19 के बजट में झारखंड सरकार ने इस योजना में पंजीकृत किसानों को स्मार्टफोन उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है

➧ कृषि, सहकारिता एवं कृषि कल्याण विभाग DAC & FW) इस योजना का क्रियान्वयन देशभर में चयनित विनियमित कृषि बाजारों में परियोजना योग्य साझा इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म के द्वारा लघु किसानों के लिए कृषि व्यवसाय संघ (SFAC) के माध्यम से कर रहा है

➧  साझा ई-व्यापार प्लेटफार्म के साथ एकीकरण हेतु राज्यों/संघीय क्षेत्रों को :-

(i) पूरे राज्य में वैध एकल लाइसेंस, 

(ii) बाजार शुल्क की एकल बिंदु लेवी और

(iii)  कीमतें प्राप्त करने के साधन के रूप में इलेक्ट्रॉनि नीलामी के प्रावधानों  के रूप में अपने राज्य कृषि उत्पाद विपणन समिति (APMC) अधिनियमों (मंडी कानूनों) में पूर्व सुधार करना आवशयक है 

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Saturday, June 26, 2021

Jharkhand Ke Apwah Tantra (झारखंड के अपवाह तंत्र)

Jharkhand Ke Apwah Pranali

➧ जल संसाधन राज्य के जैव मंडल के विकास हेतु महत्वपूर्ण साधन है, जो प्रकृति प्रदत है 

➧ वर्षा के जल एवं दूसरे स्रोत से प्राप्त जल के बहाव की समग्र व्यवस्था अपवाह प्रणाली के नाम से जानी जाती है

➧ झारखंड के अपवाह प्रणाली के अंतर्गत नदियां, जलप्रपात एवं गर्म जलकुंड शामिल किए जाते हैं।

➧ झारखंड के अपवाह तंत्र में बड़ी आकार वाली नदियां नहीं है, यहां की अधिकांश नदियां छोटे आकार की है

➧ ये नदियां सदानीरा भी नहीं है क्योंकि इनका स्रोत अमरकंटक के पहाड़ी या छोटानागपुर के पठार द्रोणी है

झारखंड के अपवाह तंत्र

➧ जल संसाधन का संरक्षण झारखंड जैसे राज्य के लिए अति-आवश्यक है, क्योंकि राज्य में आर्कियन  ग्रेनाइट तथा  नीस जैसे चट्टाने पायी जाती है

 इस प्रकार की चट्टानों की छिद्रता कम होती है, फलत: भूमिगत जल ठहर नहीं पाता  अतः राज्य में भूमिगत भंडार जल सीमित है

➧ झारखंड के नदियों की उपयोगिता

(i) यहां की नदियां उद्योगों की स्थापना में सहायक है
(ii) ये नदियां शिक्षाएं, मत्स्यपालन, पन-बिजली की प्राप्ति का साधन है 
(iii) ये नदियां पेयजल का मुख्य स्रोत उपलब्ध कराती है


ये नदियों की विशेषता 

(i) झारखंड की अधिकांश नदियां उत्तर की ओर प्रवाहित होकर गंगा में मिल जाती है या फिर स्वतंत्र रूप से पूर्व की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है 

(ii) झारखंड की नदियों में मार्ग बदलने की प्रवृत्ति नहीं के बराबर होती है, क्योंकि ये कठोर चट्टानों से होकर प्रवाहित होती है


(iv) झारखंड की नदियां मानसून पर निर्भर है अर्थात बरसात के मौसम में इनमें बाढ़ आती है, परन्तु गर्मी के मौसम पर यह सूख जाती हैं सोन इसका अपवाद है 

(v) यहां की नदियां जलप्रपात के लिए विशिष्ट स्थिति प्रदान करती है, परंतु नौकाचालन के लिए उपयोगी नहीं होती  

➧ नदियों से जुड़े विशिष्ट तथ्य

➧ सोन नदी को छोड़कर झारखंड की सभी नदियां बरसाती है, अर्थात मौनसून पर निर्भर है 

➧ मोर/ मयूराक्षी एकमात्र झारखंड की नदी है, जिसमें नौकायान किया जा सकता है 

➧ गंगा नदी झारखंड की एकमात्र जिले साहबगंज से होकर गुजरती है इसके संरक्षण के लिए 2009 में झारखंड राज्य गंगा नदी संरक्षण प्राधिकरण गठित किया गया है


➧ दामोदर और स्वर्णरेखा नदियों की आकारिकी अध्ययन से पता चलता है कि नदियां नवोन्मेषण (पुनर्योवन) की प्रकिया से गुजरी है 

 झारखंड की वार्षिक औसत वर्षा 125 से 150 सेंटीमीटर है जबकि यहां की नदियों की क्षमता 18 पॉइंट 18 बिलियन क्यूबिक मीटर है

➧ झारखंड में 8 नदी बेसिन है - उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयल, शंख, दामोदर, स्वर्णरेखा, खैरकई, अजय, मयूराक्षी

 नदी अपवाह तंत्र का विभाजन

उत्तर-पश्चिम अपवाह :- सोन, पुनपुन, सकरी, फल्गु, करमनासा, पांचने, कियूल
 
उत्तरी-पश्चिम अपवाह :- उत्तरी कोयल, औरंगा, अमानत 

पूर्वी अपवाह :- दामोदर, बराबर, अजय, मयूराक्षी, ब्रम्हाणी

दक्षिण अपवाह  :- दक्षिणी कोयल, शंख   

दक्षिण-पूर्वी अपवाह :- स्वर्णरेखा, खरकई, काँची, राढू कसाई, संजय   
 

➧ उत्तरी अपवाह तंत्र

➧ यह अपवाह तंत्र  झारखंड के लिए उतना महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि यह बिहार के मध्य भाग में अपना प्रवाह तंत्र  विकसित करती है
➧ इस प्रवाह तंत्र का विकास हजारीबाग (प्रखंड-चौपारण) और उत्तरी चतरा, उत्तरी कोडरमा जिला क्षेत्र भू-भाग में विकसित है इसके अंतर्गत सोन, कर्मनासा,पुनपुन, फल्गु, सकरी, पंचाने, कियूल आदि नदियां बहती है

(i) सोन नदी :- इसका उद्गम स्थल मैकाल श्रेणी का अमरकंटक पहाड़ी है 
➧ इसे सोनभद्र एवं हिरण्यवाह भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें सुनहरी रेत पाई जाती है 
➧ गढ़वा-पलामू की सीमा को छूते हुए यह नदी सीधे पूर्व की ओर बहते हुए गंगा नदी में मिल जाती मिल जाती हैं

(ii) पुनपुन नदी :- इसका उद्गम स्थल मध्यप्रदेश की पठारी भाग एवं इसका मुहाना गंगा नदी है 
➧ इस नदी की कुल लंबाई 200 किलोमीटर है 
➧ इसकी सहायक नदियों में दरधा और मोरहर है 
➧ यह झारखंड के चतरा से होते हुए बिहार के औरंगाबाद, गया, पटना में प्रवेश करते हुए गंगा नदी से मिल जाती है
 इससे कीकट एवं बमागधी  के नाम से जाना जाता है

(iii)  सकरी नदी :- यह उत्तरी छोटानागपुर के पठार से निकलकर गंगा के ताल क्षेत्र में अपना मुहाना बनाती है➧ इसकी सहायक नदियों में किउल प्रमुख है
➧ इस नदी की विशेषता यह है कि यह मार्ग बदलने हेतु कुख्यात हैं

(iv) फल्गु नदी :- इसे अंतः सलिला के नाम से भी जाना जाता है 
➧ इसकी सहायक नदी निरंजना एवं मोहना है  
➧ यह छोटा नागपुर पठार का उत्तरी भाग हजारीबाग के पठार (चतरा जिले) से निकलकर बिहार में पुनपुन से मिल जाती है  
➧ इस नदी के पौराणिक विशेषता है 
 पितृपक्ष के समय स्नान एवं पिंडदान हेतु लोग यहां आते हैं 
 इस नदी का झारखंड में केवल उद्गम स्थल है 

 उत्तर-पश्चिमी अपवाह तंत्र 

➧ इस अपवाह तंत्र का विस्तार पलामू प्रमंडल में है इस अफवाह तंत्र की प्रमुख नदियां इस प्रकार हैं :-

(i) उत्तरी कोयल नदी :- इस नदी का उद्गम स्थल रांची पठार के मध्य भाग में स्थित है
 यह गढ़वा, पलामू, लातेहार होते हुए सोन नदी में जाकर गिरती है
 इसकी कुल लंबाई 260 किलोमीटर है
 इसकी सहायक नदियों में औरंगा एवं अमानत है 
➧ झारखंड के लातेहार जिले में बूढ़ाघाघ जलप्रपात, जो झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात है और जिसकी ऊंचाई 450 फीट है इसी नदी पर स्थित है

(ii) औरंगा नदी :- यह लोहरदगा जिले के किसको प्रखंड के उत्तरी सीमा से निकलती है
➧ इसकी सहायक नदियां  घाघरी, गोवा नाला, धाधरी, सुकरी आदि है 
➧ यह आगे चलकर लेस्लीगंज और बरवाडीह की सीमा बनाते हुए कोयल नदी में जाकर गिरती है

(iii) अमानत नदी :-  यह चतरा जिले से निकलकर बालूमाथ होते हुए पांकी प्रखंड में प्रवेश करती है 
➧ इसकी प्रमुख सहायक नदियां जिजोई, माईला, जमुनियाँ, खैरा, चाको, सलाही, पाटम आदि है

➧ पूर्वी अपवाह तंत्र 

(i) दामोदर नदी :- यह झारखंड स्थित छोटा नागपुर पठार के टोरी (लातेहार) से निकलकर हुगली नदी में मिलती है
 इसकी कुल लंबाई 592 किलोमीटर है, जबकि यह नदी झारखंड में 290 किलोमीटर की दूरी तय करती है
 इसका अपवाह क्षेत्र 12,800 वर्ग किलोमीटर तक विस्तृत है
 इसकी सहायक नदियों में बराकर, बोकारो, कोनार, जमुनिया, कतरी आदि हैं 
➧ यह झारखंड के हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो, लातेहार, रांची, लोहरदगा आदि जिले में प्रवाहित होती है 
➧ इसे देवनदी, बंगाल का शोक आदि नामों से भी जाना जाता है
 यह झारखंड की सबसे प्रदूषित नदी है 
➧ यह झारखंड की सबसे लंबी और बड़ी नदी है

(ii) बराकर नदी :- इसका उद्गम स्थल छोटा नागपुर का पठार है 
➧ यह 225 किलोमीटर की दूरी तय कर दामोदर नदी में जाकर गिरती है
➧ यह झारखंड के हजारीबाग, गिरिडीह, धनबाद आदि जिले में अपना अपवाह क्षेत्र बनाती हैं

(iii) अजय नदी :- यह बिहार के मुंगेर जिले से निकलकर लगभग 288 किलोमीटर की यात्रा करते हुए भागीरथ नदी पश्चिम बंगाल में अपना मुहाना बनाती है
 इसकी सहायक नदियों में पथरो एवं जयंती का नाम आता है
 इसकी अपवाह क्षेत्र में देवघर, दुमका, जामताड़ा है

(iv) मयूराक्षी नदी :-इस नदी का उद्गम स्थल त्रिकूट पहाड़ी (देवघर) में स्थित है
 यह कुल 250 किलोमीटर की दूरी तय कर पश्चिम बंगाल के हुगली में जाकर मिलती है
➧ इस नदी की सहायक नदियों में धोवाइ, टिपरा, भामरी है 
➧ इस नदी का अपवाह क्षेत्र दुमका, साहिबगंज, देवघर और गोड्डा है
➧ झारखंड में इस नदी की विशेषता यह है कि यह नौगाम्य नदी है

(v) ब्राह्मणी नदी :- इस नदी का उद्गम स्थल दुमका जिले के उत्तर में स्थित दुधवा पहाड़ी से है
 इसकी सहायक नदियों में गुमरो और ऐरो मुख्य हैं 
➧ यह पश्चिम बंगाल के हुगली में अपना मुहाना बनाती है
 इसका अपवाह क्षेत्र दुमका, साहिबगंज, देवघर, गोड्डा है

(vi) गुमानी नदी :- इस नदी का उद्गम स्थल राजमहल की पहाड़ी है 
➧ यह अपना मुहाना गंगा नदी (पश्चिम बंगाल) में बनाती है
 यह राजमहल की पहाड़ियों से निकलकर उत्तरी-पूर्वी खंड का निर्माण करती है
 इस नदी के दो प्रमुख सहायक नदियां है जिसमें मेरेल नदी उत्तर की ओर से आकर बुढ़ेत के पास मिलती है 
अन्य सहायक नदियों में दक्षिण की ओर से छोटी नदियां आकर मिलती है, जो छोटे मैदानी क्षेत्र का निर्माण करते हैं

(vii) बंसोलोई :- इस नदी का उद्गम स्थल गोड्डा जिले के बांस पहाड़ी से हुआ है 
➧ यह दुमका के पचावारा के नजदीक प्रवेश करती है तथा मुराराई रेलवे स्टेशन के पास गंगा में मिल जाती है

➧ दक्षिणी-पूर्वी अपवाह तंत्र

➧ इस अपवाह तंत्र में स्वर्ण रेखा, राढू, खरकई, कांची, संजय, कसाई आदि नदियां शामिल है
 
(i) स्वर्णरेखा नदी :- यह रांची के नगड़ी (प्रखंड) से निकलकर करीब 470 किलोमीटर की दूरी तय कर स्वतंत्र रूप से बंगाल की खाड़ी में गिरती है
➧ यह झारखंड की एकमात्र नदी है जो स्वतंत्र रूप से बंगाल की खाड़ी में गिरती है, अन्यथा सभी नदियां किसी ना किसी नदी में जाकर मिल जाती है 
➧ इसकी सहायक नदियों में काकरो, कांची, खरकई, जामरू, राढू, संजय आदि शामिल है 
➧ इसकी अपवाह क्षेत्र रांची और सिंहभूम में है
➧ इसे स्वर्णरेखा नदी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस नदी की रेत में सोने का अंश पाया जाता है 
 इसी नदी पर हुंडरू जलप्रपात का निर्माण होता है 

(ii) खरकई नदी :- झारखंड और उड़ीसा के मध्य सीमा का निर्माण खरकई नदी द्वारा किया जाता है 
➧ इस नदी पर खरकई जलाशय परियोजना स्थित है
 यह स्वर्णरेखा के सहायक नदी है
 इसके किनारे लौहनगरी जमशेदपुर स्थित है

(iii) काँची :- इस नदी पर झारखंड का दशम जलप्रपात स्थित है, जिसकी ऊंचाई 144 फीट हैहै
 यह राढू नदी की सहायक नदी है

➧ दक्षिणी अपवाह तंत्र 

 इस अपवाह तंत्र में दक्षिणी कोयल एवं और शंख नदी को शामिल किया जाता है 
(i) दक्षिणी कोयल :- यह रांची के नगड़ी प्रखंड से निकलकर शंख नदी (उड़ीसा) में गिरती है
 इसकी कुल लंबाई 470 किलोमीटर है
 इसकी सहायक नदी कारो है 
➧ इसका अपवाह क्षेत्र लोहरदगा, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम और रांची में है
 शंख नदी के साथ मिलकर यह उड़ीसा में ब्राह्मणी नदी के नाम से भी जानी जाती है

(ii) शंख नदी :- यह गुमला के चैनपुर से निकलकर लगभग 240 किलोमीटर की दूरी तय कर दक्षिणी कोयल में मिलती है
 इसके अपवाह क्षेत्र में झारखंड का गुमला जिला आता है


 
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Friday, June 25, 2021

Martial Law Vs. National Emergency - JPSC/ JSSC (Indian Polity)

Martial Law Vs. National Emergency

A detailed Comparison:

Martial Law Vs. National Emergency - JPSC/ JSSC (Indian Polity)

Martial Law

National Emergency

1

It affects only Fundamental Rights. 

It affects Fundamental Rights and Center-State relations, distribution of revenues, and legislative powers between center and state and may extend the tenure of the Parliament.

2 

It suspends the government and ordinary law courts.

It continues the government and ordinary law courts.

3 

It is imposed to restore the breakdown of law and order due to any reason.

It can be imposed only on three grounds- war, external aggression, or armed rebellion.

4 

It is imposed in some specific areas of the country.

It is imposed either in the whole country or in any part of it.

5 

It has no specific provision in the Constitution. It is implicit. 

It has specific and detailed provisions in the Constitution. It is explicit. 


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Sunday, June 20, 2021

Sadan of Jharkhand: Jharkhand History- JPSC/ JSSC

Sadan of Jharkhand

Sadans are the original non-tribal people of Jharkhand, but not all non-tribes are Sadans. The Sadan= people who were settled here or inhabited the place.

In the Sadani language, the house pigeon in Nagpuri is called 'Sed Parewa' and the wild pigeon or the pigeon that does not live in the house is called 'Ban Parewa'. Similarly, the Sadan should be treated as 'Sed Parewa'.There is a fundamental difference between the Adivasis and the Sadans, the Adivasis are tribes and nomads, while the Sadans are communities and permanent residence.

Sadan of Jharkhand: Jharkhand History- JPSC/ JSSC


Concerning language, a non-tribal person whose language is basically Khortha, Nagpuri, Panchapargani, and Kurmali in the Sadan. In this consideration, Dr. Bisheshwar Prasad Keshari (Dr. B.P.Keshari) believes that the original form of these languages must have developed in different tribes of Nagajati. But language is not limited to caste only. Therefore, Nagaraja will be in Nagadihsum. So as people, there will be no hag people or people of other castes and language will also be there. 

Hinduism is the ancient Sadan in terms of religion. Islam originated in the 6th (sixth) century. Jainism is also the religion among Sadan. Today the mother tongue of all these religious people is Urdu or Arabic, Persian, or Jain's language but they have languages like Khortha, Nagpuri, Panchpargania, and Karmali, etc. Whether the person from any religion can be a Sadan only when his mother tongue is Saadri language.

Sadan is an Aryan in terms of race. Some Dravidians are also called Sadans. Even some Aryan people are Sadans. They were the Diwan, Thakur, Pandey, Karta, and Lal among the four-five pillars in the Pariha Panchayat of Oraon and Mundas. The Manaki Munda, Pahan, Mahato belonged to their pegs, there were also Lal, Pandey, Thakur, Diwan, etc. as assistants, who ran the business. That is to say, Sadan lived with Munda and Oraon in the royal system or in other business activities.

According to history, there was a decent species here before the Asura. Certainly, these civilized species belonged to the Sadans, who were the original inhabitants. After all, the work of making iron for Ausra was done by only someone else. The Asura were followed by Munda followed by Oraon. Sadan was inhabited before their arrival. Munda and Oraon were welcomed by the Sadans. The British successes in imposing the surname 'Diku' under a conspiracy policy, which confused the tribals and the Kol rebellion (1831-32), in which the Sadans and the Adivasis had clashed. Later, Birsa Munda understood the British conspiracy and he had targeted only the British. In the Birsa Munda era, the Mughal, Pathan, Sikh, Kirani Babu, and British were called 'Diku', who use to exploit the tribals and create differences between them and the houses.

Types of Houses according to Caste:

  • Caste like those found in another part of the country viz. Brahmin, Rajput, Mali, Kumhar, Kurmi, Sonar, Baniya, Ahir, Chamar, Dushadh, Thakur, and Nagajati.
  • Many Sadan caste whose gotras are Avadhiya, Kanuajia, Tirhutia, Gaur, Dakhinaha, etc. this shows their original place is somewhere outside.

Social and Cultural Framework:

The cultural structure of Sadans is Adivasis is almost the same. The cultural structure of the Sadan family is most like the Sanatani family, but many social, religious, and cultural functions are performed like the tribals, such as weddings, festivals, dances, songs, languages, etc. Both Sadan and Adivasis are native to Jharkhand. They have a shared culture. Due to this, there is a glimpse of Aryanism as well as tribalism in the houses.


Religion and Belief:

The caste located in a small area called Sadan Sarak is influenced by Jainism. Like the Jains, they do not eat after sunset and do not consume nonvegetarian meat and fish. They are worshipers of the sun with resolution. Some Sadans are influenced by the Vaishnava tradition. Along with worshipping the deities of the Hindus, the Sadan people also worship deities. Along with Ojha Mati, craft and ghost are also popular. It would be relevant to say that the religious tradition of the Sadans is entranced calling in the spirits priesthood and ritualism.


Physical Emergence:

Arya, Dravidian, and Austric are seen in the physical emergence of the houses. The shades of white, black with short, medium, and tall heights are seen in the houses.


Attire:

Sadan traditionally wears a dhoti, gamcha, and chadar. But in recent times they used to pants, shirts, coats, ties, etc.


Jewel/Jems:

The Sadan people use jewelry like pola, sankha, bracelets, necklaces, sikari, bullak, basar, nathya, karn flower, etc, Tattooing is also practiced in the houses like tribals.


Hunting Gadget:

Sadan uses nets, kumani bansidang, polai, and tools like arrow-bows, swords, spears, lathis, and tongs for hunting like tribals. The tradition of holding guns by the Sadan came influencing of Zamindars.


Household Goods:

Sadan people use earthenware in the villages. Handiya, gagri, chukka, dhakni are commonly used goods in houses. Keeping brass and bronze utensils in the houses is considered a sign of prosperity. Both sides of the plate are used in group meals. Sadan and Adivasis use the same equipment in farming and plowing.


Kinship/Relationship:

Sadan society is patriarchal. Society is controlled by men rather than women, passing power, property, etc. from father to son rather than from mother to daughter. Marital relationship is forbidden in the maternal and paternal clan.


Festivals:

The festivals of the Sadan are a very long list. A person who is not a Sadan will not derive pleasure or enjoy the festivals here. Holi, Diwali, Dussehra, Kali-Puja, Jitiya, Sohrai, Karma, Sarhul, Makar Sankranti, Tusu, Teej, etc. are the major festivals among the Sadans. While Muslim Sadan celebrates Eid, Muharram, etc.


Dance/Songs:

Houses are identified with the village of Akhara. The collective dance of girls takes place in Akhara in Karam Utsav. There is an overnight dance to awaken Jawa. Apart from these, women also dance in wedding viz. Dumkach, Jhumta, Jhumar are all group dances. Ghatwari dance, Jamda dance, Chokra dance, Luri Savari dance, Rajput Jhalak dance- all these dances together are called colorful male dance. Apart from these Ganesh dance and Kathak dance are the classical dance.

The songs of the Sadans are named after their Ragas and Sur viz. Dumkach, Jhumta, Agnayi, Mardani Jhumar, Sohrai, etc.

Sadan community is also a contemporary of the tribals, who are natives of Jharkhand. Seeing the mutual friendship between the tribals and the Sadans, the British tried to create a rift between them. But they got partial success over this.

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