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Saturday, September 26, 2020

Class Amphibia- NEET-Biology

 Class Amphibia

Class: Amphibia

  • Amphibians are vertebrates, that can live in both aquatic (water) as well as terrestrial (land) environments.
  • The first amphibian came into existence in the Devonian period.

Important characteristics:

  • Soft, moist (without scales) & glandular skin.
  • Endoskeleton mostly bony.
  • Notochord does not persist.
  • The eyes have eyelids.
  • A tympanum represents the ear.
  • Respiration is by gills, lungs, and through the skin.
  • Larvae with external gills which may persist in some aquatic adults (like salamanders).
  • The heart is three-chambered (two auricles & one ventricle).
  • The alimentary canal, urinary & reproduction tracts open into a common chamber called cloaca which opens to the exterior.
  • Kidneys are mesonephric.
  • Excretion is ureotelic.
  • They are cold-blooded animals.
  • Sexes are separate. Fertilization is external.
  • They are oviparous & development is direct or indirect.
  • Example: Ichthyophis (blind-worm), Ambystoma (American salamander), Hyla (tree frog), Necturus (Mudpuppy), Alytes (Midwife toad), Bufo (Toad), Rana tigrina (Indian Bullfrog)
Fig: Rana tigrina


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Tuesday, September 22, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-4(Administrative System Of Jharkhand)


झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-4

(Administrative System Of Jharkhand)


प्रखंड प्रशासन (Block)

जिला प्रशासन की दूसरी सीढ़ी प्रखंड प्रशासन है
 


इसमें अंचलाधिकारी और प्रखंड विकास पदाधिकारी के पद और कार्य प्रमुख होते हैं

➤झारखण्ड  निर्माण के समय प्रखंडों की संख्या कुल संख्या 210 थी 

➤झारखण्ड राज्य निर्माण के बाद  57 और प्रखंडों का सृजन किया गया

इस तरह से वर्तमान में 267 प्रखंड  है 

➤अन्य राज्यों की भांति झारखंड में अनुमंडल को दो या अधिक प्रखंड या राजस्व अंचल में विभाजित करने की  प्रथा है
 
प्रखंड का प्रमुख प्रखंड विकास पदाधिकारी (ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर) होता है 

➤अंचल का प्रमुख अंचलाधिकारी होता है 

➤इस पद पर राज्य प्रशासनिक सेवा के सदस्यों की नियुक्ति की जाती है 

प्रखंड विकास अधिकारी और उसके कार्य

यह राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी अथवा राज्य कृषि सेवा के अधिकारियों को सौंपा जाने वाला 
पद है  

यह अधिकारी प्रखंड के सभी विभागों के अधिकारियों के बीच सहयोगी और समन्वयक की भूमिका 
निभाता है 

इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित है:-

केंद्र सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन करना 

 ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार संबंधी आवेदनों की अनुशंसा करना  

ग्रामीण क्षेत्रों में विकास योजनाओं का क्रियान्वयन करना 

अंचलाधिकारी और उसके कार्य

अंचलाधिकारी  और उसके कार्य पदाधिकारी को दिया जाता है 

➤अंचल का प्रमुख अंचलाधिकारी होता है 

 अंतर्गत आने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार है  

भू-राजस्व, भू -अभिलेख, विधि व्यवस्था का संधारण करना है  

चुनाव, जनगणना, कृषि सांखियकी, आय प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, आवासीय प्रमाण-पत्र जारी करना

पर्व-त्योहारों में शांति-व्यवस्था, सौहार्द बनाने और विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबंधन करना

 राज्य में आदिवासियों की भूमि-संबंधी अधिकारों की सुरक्षा करना

समाज कल्याण के सभी कार्यों का संपादन करना

 आपदा, दुर्घटना, दंगा, पीड़ित लोगों के मुआवजे का आकलन और मुआवजा देने का कार्य करना

पुलिस प्रशासन

झारखंड राज्य पुलिस संरचना


महानिदेशक  (Director General Of Police) 

अपर महानिदेशक (Additional Director General) 

महानिरीक्षक (Inspector General)

उपमहानिरीक्षक (Deputy Inspector General)

आरक्षी पुलिस अधीक्षक (Superintendent of police)

 आरक्षी उपाधीक्षक या अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (Deputy superintendent or sub-divisional police officer)

आरक्षी निरीक्षक ( Inspector Of Police)

आरक्षी अवर निरीक्षक या थाना प्रभारी (Sub- Inspector Of Police)

 सहायक अवर निरीक्षक  (Assistant Sub- Inspector)

➤हवालदार (hawaldar)

सिपाही (constable)

महानिदेशक (डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस)- राज्य स्तरीय पुलिस संरचना में सबसे ऊपर महानिदेशक होता है 

अपर महानिदेशक इसके नीचे क्रमशः अपर महानिदेशक एवं महानिरीक्षक होता है 

महानिरीक्षक के नीचे उपमहानिरीक्षक होता है

उपमहानिरीक्षक  जो प्रमंडल का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है और आयुक्त के समक्ष होता है 

उपमहानिरीक्षक के नीचे आरक्षी अधीक्षक का पद होता है 

आरक्षी पुलिस अधीक्षक जो जिला का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है 

आरक्षी अधीक्षक( एस पी) के नीचे आरक्षी उपाधीक्षक अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी होता है

आरक्षी उपाधीक्षक या अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी  जो अनुमंडल का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है

पुलिस मुख्यालय में नियुक्त होने पर यह आरक्षी उपाधीक्षक एवं क्षेत्र में नियुक्त होने पर अनुमंडल आरक्षी पदाधिकारी कहलाता है

आरक्षी उपाधीक्षक या अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी के नीचे आरक्षी निरीक्षक का पद होता है 

आरक्षी निरीक्षक जो एक से अधिक थानों का प्रभारी होता है

 बड़े इलाके में (उदाहरण - राँची कोतवाली थाना) एक ही थाना का प्रभारी होता है

आरक्षी निरीक्षक  के नीचे आरक्षी अवर निरीक्षक या थाना प्रभारी का पद होता है  

आरक्षी अवर निरीक्षक या थाना प्रभारी जो थाना का प्रधान पुलिस अधिकारी होता है इसे थाना प्रभारी भी कहा जाता है 

विदित हो कि सबसे निचली इकाई थाना ही होता है जो प्रखंड या अंचल के समकक्ष होता है

अवर निरीक्षक के नीचे क्रमशः सहायक अवर निरीक्षक, हवलदार और सिपाही होते हैं

➤सिपाही पुलिस संरचना का सबसे नीचे पद होता है 

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Monday, September 21, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-3(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-3

(Administrative System Of Jharkhand)



अनुमंडल प्रशासन

➤ जिला प्रशासन के बाद क्षेत्रीय प्रशासन में अनुमंडल प्रशासन आता है

➤ यह पद भारतीय प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी या  राज्य प्रशासनिक सेवा के पदाधिकारी को सौंपा जाता है

➤ झारखंड के अनुमंडल प्रशासन में दोनों प्रकार के पदाधिकारी हैं 

➤ये पदाधिकारी भी अपने क्षेत्र में जिला पदाधिकारी की भांति ही बहुत तरह की भूमिका का निर्वाह करते हैं 

➤राजस्व ,विधि और न्याय संबंधी कार्यों में इनकी प्रमुख भूमिका होती है

➤ जिसका प्रमुख अनुमंडल पदाधिकारी ( एस0 डी0 एम0) होता है

➤ इसके साथ ही यह विकास संबंधी योजनाओं का पर्यवेक्षण और क्रियान्वयन करने का कार्य करते हैं

➤यह पदाधिकारी कृषि और भूमि संबंधी राजस्व वसूलने और अंचलाधिकारियों  के आदेशों के विरुद्ध

 अपील सुनने का कार्य करता है

➤अपने अधीनस्थ प्रतिनियुक्तियों का कार्य करता है 

➤क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने हेतु पुलिस पर नियंत्रण और आदेश जारी करता है 

क्षेत्र में शस्त्र आवेदनों पर अनुशंसा के साथ शास्त्रों का वार्षिक निरीक्षण करता है

➤इसके अलावा अपने क्षेत्र में आने वाले जिला के विशेष व्यक्तियों की सुरक्षा का प्रबंध करता है

 झारखंड में अनुमंडल की संख्या 45 है

 झारखंड राज्य निर्माण के समय अनुमंडल की संख्या 33 थे

 प्रखंडों को मिलाकर अनुमंडल बनता है


जिला          संख्या       अनुमंडल 

1        रांची                                 2                   राँची  और  बुंडू 

2       दुमका                               1                   दुमका 

     गुमला                                3                   गुमला, चैनपुर, बसिया

4      पश्चिमी सिंहभूम                 3                   चाईबासा,पोड़ाहाट,

                                                                      जगन्नाथपुर 

5      गिरिडीह                           4                   गिरिडीह, खोरी महुआ,

                                                                      डुमरिया,सरिया 

6      पलामू                                3                  मेदिनीनगर, हुसैनाबाद, 

                                                                      छतरपुर 

7      लातेहार                             2                   लातेहार, महुआडांड़ 

8      गढ़वा                                 3                   गढ़वा,नगरउंटारी,रंका

9      सिमडेगा                            1                   सिमडेगा 

10    चतरा                                 2                    चतरा, सिमरिया

11    हजारीबाग                         2                    हजारीबाग, बरही

12   पूर्वी सिंहभूम                       2                    धालभूमगढ़, घाटशिला

13   बोकारो                               2                    चास, बेरमो

14   सरायकेला खरसावां           2                    सरायकेला खरसावां ,

                                                                        चाण्डिल 

15   खूंटी                                   1                     खूंटी

16   देवघर                                 2                     देवघर, मधुपुर

17   गोड्डा                                   2                     गोड्डा ,महागामा 

18   साहिबगंज                          2                     साहिबगंज, राजमहल

19   धनबाद                               1                     धनबाद 

20  जामताड़ा                             1                     जामताड़ा  

21  पाकुड़                                  1                      पाकुड़ 

22  लोहरदगा                             1                      लोहरदगा

23  कोडरमा                              1                       कोडरमा 

24   रामगढ़                                1                        रामगढ़ 

   


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Sunday, September 20, 2020

Green Revolution

Green Revolution



Green Revolution, initiated during the third 5-year plan was meant to increase the production of rice and wheat and attain self-sufficiency in food grain production. However, the program was initially implemented only in the few select pockets ie Haryana, Punjab, and western Uttar Pradesh. Most of the eastern regions were overlooked despite the availability of fertile soil and sufficient water. The major regions behind the neglect of eastern regions were:

  • Most of the landholding in the eastern regions were either marginal or small landholdings. The green revolution promoted large scale farm machinery which required large estates.
  • Most of the eastern region was dominated by the cultivation of rice. While rice responded late to the Green revolution, the western region excelled in the production of wheat, maize, and millets.
  • Also Bihar, Odisha, and Bengal were the poorest states of India with a large number of people living below the poverty line. This discouraged the policymakers to focus on these regions as the Green revolution required investments from the farmers.
However, it would not be correct to say that the Green revolution totally surpassed the eastern region. The green revolution was implemented in phases and it eventually reached eastern India bringing changes in the method of farming and substantially increased production.

The second phase of the green revolution was implemented in the 1970s and it focussed on southern and western states. While the third phase implemented in the 80s focusing on the relatively poor states of Bihar, Odisha, Bengal, and Assam.

It can be said that the differential implementation between regions. Nevertheless, the government has renewed its focus on the eastern regions and the second Green Revolution or the Green Revolution 2.0 is meant specifically for the eastern region.





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Micro-Watershed Development Projects

Micro-Watershed Development Projects


The Watershed is a geographical unit with a common natural drainage outlet. The scope of micro-watershed is up to 500 hectares. According to a recent World Bank report, the rising demand for water along with a further increase in population and economic growth can result in half the demand for water in India being unmet by 2030.

Micro-watershed development can be considered as one of the best programs in the conservation of drought-prone and semi-arid regions of India both in terms of immediate and targeted effects. 

Semi-arid regions receive very less rainfall (<50 cm annually) and are affected by deforestation and desertification.

Micro-watershed projects can prevent unwanted evaporation by increasing the biomass component of the area. The strategies of micro-watershed of development include:

  • Restoring the natural resources of water collection like ponds, lakes, etc.
  • Building infrastructures like tanks, artificial ponds, check dams, etc. to store the rainwater and increase the moisture level of the soil.
  • Improving water use efficiency for agriculture with methods like drip irrigation and sprinkle irrigation.
  • Preventing soil erosion, planting trees in the wastelands, groundwater reaching, and conservation of soil moisture. 
  • Improving the quality of life of the drought-prone region by the increased availability of water both for drinking and irrigation purposes.
  • Increasing the vegetation occur in semi-arid regions by rational utilization of water resources.
Micro-watershed development can result in phenomenal success in regions like Vidarbha, Bundelkhand, & Rajasthan. Micro-watershed development aims for the collection and judicious use of groundwater and surface water to conserve the ecology of the place and use it to sustain agriculture in the future.

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Monday, September 14, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-2(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-2

(Administrative System Of Jharkhand)

क्षेत्रीय प्रशासन

➤प्रशासनिक सुविधा के लिए झारखंड राज्य को  प्रमंडलों में , प्रमंडल  को ज़िलों में, जिला को  अनुमंडलों में एवं अनुमंडल को प्रखंडों में प्रखंड को अंचलों में बांटा गया है

वर्तमान में झारखंड राज्य  वर्तमान में झारखंड राज्य में 5 प्रमंडल, 24 जिले, 45 अनुमंडल और 267 प्रखंड है 

राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन होता है, जो व्यापक रूप से राज्य में सरकारी नीतियों, नियमों और सुविधाओं को आदेशात्मक रूप से क्रियान्वयन  करता है

राज्य में क्षेत्रीय प्रशासन को 5 भागों में बांटा गया है 

प्रमंडलीय प्रशासन

 जिला प्रशासन 

अनुमंडल प्रशासन

प्रखंड प्रशासन 

ग्राम पंचायत 

प्रमंडलीय प्रशासन

➤राज्य में पांच प्रमंडल है जो निम्न प्रकार है 

 प्रमंडल  -                                 मुख्यालय 

 पलामू प्रमंडल   -                     मेदिनीनगर

संथाल परगना प्रमंडल -           दुमका

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल -    हजारीबाग

दक्षिणी छोटानागपुर         -      रांची

कोल्हान प्रमंडल         -            चाईबासा

प्रमंडलीय प्रशासन व्यवस्था जिसके प्रमुख प्रमंडलीय आयुक्त होते हैं। 
➤ये आयुक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी होते हैं
आयुक्त के कार्यों में जिलाधिकारियों के विधि -विकास कार्यों में पर्यवेक्षक की भूमिका और न्यायालय के कार्य आदि होते हैं 
आयुक्त के सहायक अपर जिला दंडाधिकारी स्तर के सचिव के अलावा एक उपनिदेशक (खाद्य) उप-निदेशक (पंचायती राज) और अपर जिला दंडाधिकारी (फ्लाइंग स्क्वॉयड)के रूप में होते हैं  
प्रमंडल का प्रमुख आयुक्त कमिश्नर कहलाता है 

जिला प्रशासन    

 झारखंड में कुल 24 जिले हैं 

झारखंड राज्य गठन के समय 18 जिले थे

 झारखंड गठन के बाद 6 जिला का निर्माण हुआ

 सरायकेला खरसावां :- पश्चिमी सिंहभूम जिला के विभाजन के फल स्वरुप 19वॉ जिला के रूप में स्थापित किया गया, इसका गठन 1 अप्रैल 2001 को हुआ 

लातेहार :- पलामू जिला के विभाजन के फल स्वरुप 20वां जिला बना, इसका गठन 4 अप्रैल 2001 को हुआ

 जामताड़ा :- दुमका जिला के विभाजन के फल स्वरुप 21वां जिला बना, इसका गठन 26 अप्रैल 2001 को हुआ

सिमडेगा :- गुमला जिला के विभाजन के फल स्वरुप 22वां जिला बना , इसका गठन 30 अप्रैल 2001 को हुआ

 खूंटी :- रांची जिला के विभाजन के फल स्वरुप 23वां जिला के रूप में बना, इसका गठन 12 सितम्बर  2007 को हुआ

 रामगढ़ :- हजारीबाग जिले के विभाजन के फल स्वरुप 24वॉ जिला बना , इसका गठन 12 सितम्बर  2007 को हुआ

 जिला प्रशासन का उद्देश्य सरकार के सभी सेवाओं को प्रभावी ढंग से नागरिकों का तक पहुंचाना है। 
इसका प्रमुख जिला अधिकारी होता है। 
राज्य में जिला अधिकारी को 'उपायुक्त' पदनामित किया जाता है। 
इससे विभिन्न पदों में अपना कार्यभार संभालना होता है। 

कलेक्टर के रूप में उपायुक्त को निम्न कार्य करने होते हैं

भू-राजस्व वसूली
➤कैनाल एवं अन्य शुल्क की वसूली 
राजकीय ऋणों की वसूली 
➤राष्टीय विपदाओं का मूल्यांकन और उसमें सहायता कार्य
स्टांप एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन 
सामान्य एवं विशेष भूमि अर्जन का कार्य
जमीनदारी बॉण्ड्स का भुगतान
भू-अभिलेखों का समुचित रख-रखाव
भूमि पंजीकरण का कार्य 
➤संख्यांकी संबंधी रिकॉर्ड रखना

जिला पदाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

कलेक्टर की भूमिका के साथ ही उपायुक्त को जिला पदाधिकारी की भूमिका भी निभानी पड़ती है
 नागरिक सुविधाओं के क्रियान्वयन हेतु इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं 

 राज्य सरकार के आदेशों का क्रियान्वयन करना 
 जिला कोषागार का प्रबंध करना 
 प्रशासनिक पदाधिकारियों को परीक्षण देना  
चरित्र प्रमाण पत्र और नागरिकता संबंधी प्रमाण पत्र निर्गत करना  
अनुसूचित जनजाति,जनजाति, पिछड़े वर्गों, सैनिकों और भूमिहीनों के लिए भूमि बंदोबस्ती संबंधी कार्य करना  
जिला समाहरणालय में दंडाधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करना 
कर्मचारियों एवं पदाधिकारियों के पेंशन संबंधी मामलों का निष्पादन करना  
जिला स्तरीय समितियों के अध्यक्षता और नियमित बैठकों का आयोजन करना 
केंद्र अथवा राज्य के मंत्रियों के जिले में आगमन पर सुरक्षा-प्रबंध करना 
जिला स्तर के सभी अधिकारियों पर बजट नियंत्रण रखना 
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति के जिला-भ्रमण दौरो पर सुरक्षा-प्रबंध करना 
➤जिला में शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शिक्षा पदाधिकारियों का पर्यवेक्षण करना 
सामान्य नागरिकों की शिकायतें सुनकर आवश्यक कार्रवाई करना   
जिले में मूलभूत सुविधाओं का आपूर्ति संबंधी पर्यवेक्षण करना   
अनुमंडल प्रखंड ग्राम स्तर के पदाधिकारियों पर नियंत्रण, पर्यवेक्षण और उन्हें अवकाश देने संबंधी कार्य करना  

जिला दंडाधिकारी की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

उपायुक्त को इन दो भूमिकाओं के बाद जिला दंडाधिकारी के रूप में भी जिला में शांति बनाए रखने का महत्वपूर्ण कार्य करना होता है 
इस भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं 

पर्व त्योहार और विशेष व्यक्ति की सुरक्षा में दंडाधिकारी की तैनाती करना  
अनुसूचित जाति ,जनजाति, पिछड़े वर्ग को प्रमाण पत्र निर्गत करना  
अशांति, हिंसा और दंगों की स्थिति में सेना का प्रभावित क्षेत्र में फ्लैग मार्च कराना 
बिगड़ती न्याय व्यवस्था के नियंत्रण के लिए आवश्यक कदम उठाना, कर्फ्यू लगाना आदि  
अधीनस्थ कार्यपालक दंडाधिकारियों  की प्रतिनियुक्ति करना 
जेलों का औचक अथवा पूर्व नियोजित, नियोजित निरीक्षण करना 
➤बंदियों  को व्यवहार के आधार पर श्रेणी देना अथवा पैरोल पर छोड़ना  
अपराधों की वार्षिक रिपोर्ट राज्य सरकारों को सौंपना  
जिला अंतर्गत सभी थानों का वार्षिक निरीक्षण करना  
➤आपदा, दुर्घटना, उग्रवादी गतिविधियों में पीड़ितों को मुआवजा देना 
जिला स्तर के विभिन्न चुनाओं को शांतिपूर्ण संपन्न कराना 
जिले में मनोरंजन संस्थाओं से मनोरंजन कर लागू करके वसूलना 
जिले की मतदाता सूची को अद्यतन करना कराना 
संसदीय विधानसभा  क्षेत्रों का परिसीमन कराना  
जनगणना संबंधी कार्य पूर्ण कराना 

जिला समन्वयक की भूमिका में उपायुक्त के कार्य इस प्रकार हैं

जिला उपायुक्त को विभिन्न जिला स्तरीय विभागों के बीच सहयोग एवं समन्वय बनाकर रखना पड़ता है।

इस समन्वयक भूमिका में वह निम्नलिखित विभागों और उनके पदाधिकारियों से निरंतर संपर्क में रहता है 

पुलिस विभाग के पुलिस अधीक्षक से 
 वन विभाग के वन पदाधिकारी से  
शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा पदाधिकारी से 
सहकारी विभाग के सहायक निबंधक से 
कृषि विभाग के जिला कृषि पदाधिकारी से 
खनन विभाग के सहायक खनन पदाधिकारी से 
चिकित्सा विभाग के सिविल सर्जन से  
निबंधन विभाग के सहायक निबंधक से  
उद्योग विभाग के जिला उद्योग पदाधिकारी से 
उत्पाद विभाग के अधीक्षक से 
आपूर्ति विभाग के जिला आपूर्ति पदाधिकारी से 

इस प्रकार जिलाधिकारी/उपायुक्त जिले का प्रमुख होता है जो अपनी पूर्ण क्षमता और अधिकारों के साथ जिले के नागरिकों और राज्य सरकार के बीच सुविधा-सेतु का काम करता है 

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Sunday, September 13, 2020

Jharkhand Ki Prashasanik Vyavastha Part-1(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-1

(Administrative System Of Jharkhand)

झारखण्ड की प्रशासनिक व्यवस्था PART-1

सचिवालय (The Secretariat)

➤राज्य की सभी प्रशासनिक इकाइयों, विभागों के संचालन, समन्वय और प्रशासन पर केंद्रीय स्तर पर तालमेल बैठाने के लिए सचिवालय का गठन किया जाता है 
सचिवालय राज्य प्रशासन का मुख्य केंद्र होता है 
➤राज्यव्यवस्था और प्रशासनिक क्रियाओं से सम्बंधित सभी कार्यों का नीति निर्धारण ,निर्देशन और क्रियान्वयन यही से होता है 
सचिवालय मुख्यमंत्री व मंत्रिमण्डल तथा राज्य प्रशासन के बीच कड़ी का काम करता है 
➤झारखण्ड राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय राँची स्थित सचिवालय है। 


राज्य सचिवालय में दो प्रकार के पदाधिकारी होते है


1. राजनीतिक पदाधिकारी और 
2 .प्रशासनिक पदाधिकारी 
 

1. राजनीतिक पदाधिकारी

मुख्यमंत्री 
कैबनिट मंत्री 
राज्य मंत्री 
उप मंत्री 
संसदीय सचिव 

2. प्रशासनिक पदाधिकारी

मुख्य सचिव 
अतिरिक्त मुख्य सचिव 
प्रमुख सचिव  
 सचिव 
विशिष्ट सचिव 
उप सचिव 
सहायक सचिव 
अनुभाग अधिकारी 
वरिष्ठ अधिकारी 
वरिष्ठ लिपिक 
कनिष्ट लिपिक 
चथुर्त श्रेणी कर्मचारी 

सचिवालय के विभाग

राज्य निर्माण के समय झारखंड में सचिवालयम के विभागों की संख्या सीमित थी।  
लेकिन वर्तमान में यह बढ़कर 31 तक पहुंच गई है विभागों के नाम इस प्रकार है। 
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग
मंत्रिमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग 
मंत्रिमंडल(निर्वाचन)विभाग 
राजस्व, पंजीकरण एवं भूमि सुधार विभाग
ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग 
कृषि एवं पशुपालन एवं सहकारिता विभाग
खाद्य सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता  
➤उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग
विद्युत विभाग
भवन निर्माण
नगर विकास एवं आवास विभाग  
 परिवहन विभाग कार्य विभाग 
विधि विभाग
योजना-सह -वित्त विभाग
वाणिज्य कर विभाग
स्वास्थ्य चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग
 जल संसाधन विभाग 
पेयजल एवं स्वछता विभाग 
उद्योग विभाग
 सड़क निर्माण विभाग
खान एवं भूगर्भ विभाग
पर्यटन,कला संस्कृति ,खेलकूद एवं युवा विभाग 
➤सुचना एवं  प्रौद्योयोगिकी  प्रौद्योगिकी एवं इ -गवर्नेंस विभाग
वन पर्यावरण एवं जलवायु मामले विभाग 
कल्याण विभाग
श्रम एवं नियोजन विभाग
गृह ,जेल एवं आपदा प्रबंधन कल्याण विभाग
कर विभाग समाज कल्याण विभाग
➤ सूचना और जनसम्पर्क विभाग 
 आबकारी विभाग
महिला बाल विकास एवं सामाजिक सुरक्षा विभाग।  

प्रत्येक विभाग का राजनीतिक प्रधान एक मंत्री होता है 
प्रत्येक विभाग का एक सचिव सेक्रेट्री होता है, जो विभाग का प्रमुख अधिकारी होता है। 
विदित रहे कि कोई भी सचिव मंत्री विशेष का सचिव नहीं होता है, बल्कि वह विभाग या सरकार का सचिव होता है। 

 प्रत्येक विभाग के सचिवों को उनके कार्यों में सहायता पहुंचाने के लिए अधीनस्थ अधिकारियों, कर्मचारियों की एक लंबी श्रृंखला होती है।  
विशेष सचिव (Special Secretary),
 अपर सचिव (Additional Secretary), 
संयुक्त सचिव (Joint Secretary), 
उप सचिव (Deputy Secretary) 
अवर सचिव (Under Secretary) तथा अन्य अनेक अधिकारी एवं कर्मचारी।  

सचिव के मुख्य कार्य

सचिव के मुख्य कार्य  हैं 
नीति निर्धारण 
विधान एवं नियमावली निर्माण 
क्षेत्रीय नियोजन एवं परियोजना निर्माण 
बजट एवं नियंत्रण व्यवस्था 
➤क्रियान्वयन एवं मूल्यांकन 
➤समन्वय 
विभागीय मंत्रियों एवं मंत्रियों की सहायता करना  
  

मुख्य सचिव

 सचिवालय का प्रधान मुख्य सचिव (Chief  Secretary) होता है    
यह भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी होता है    
यह  सचिवों का प्रधान होता है,वह लोक सेवाओं का प्रधान माना जाता है    
यह राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का नेतृत्व करता है  
➤वह सरकारी तंत्र का मुखिया होता है 
 राज्य सरकार का संपर्क अधिकारी होता है, वह केंद्र सरकार तथा अन्तर्राजीय सरकारों के साथ राज्य सरकार का संपर्क स्थापित करने का काम करता है  
झारखंड के प्रथम मुख्य सचिव का नाम विजय शंकर दुबे थे 
झारखंड के वर्तमान मुख्य सचिव सुखदेव सिंह हैं 
सुखदेव सिंह 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं
➤झारखण्ड के 23वें  मुख्य सचिव के रूप में पदभार संभाले 
मुख्य सचिव मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार के रूप में कार्य करता है

➤झारखण्ड राज्य का प्रशासनिक मुख्यालय राँची स्थित सचिवालय है ,इनके 3 भाग हैं  

1.  मुख्य भाग -प्रोजेक्ट भवन एच.ई.सी. हटिया 
2 . दूसरा भाग -डोरंडा स्थित नेपाल हाउस
3 . तीसरा भाग- ऑड्रे हाउस 

12 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड सरकार के नए विधानसभा के साथ-साथ सचिवालय का भी शिलान्यास किया 

 झारखंड के  नया सचिवालय की विषेशता:-

नया सचिवालय झारखंड की राजधानी रांची के जगन्नाथपुर के कुटे बस्ती में बनेगा
 इसमें  कुल -1238 करोड रुपए खर्च होंगे
 नया सचिवालय 23 पॉइंट 60 लाख वर्गफीट में बनना है 
झारखंड सरकार का नया सचिवालय भवन आधुनिक बनाने की योजना है 
नया सचिवालय भवन में दो ब्लॉक होंगे जो क्रमशःनॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक के रूप में जाने जाएंगे 
 सचिवालय भवन में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, के अलावा राज्य सरकार के 12 मंत्रियों के लिए भी कक्ष होंगे 
इसके अतिरिक्त सचिवालय भवन में 32 विभागों का कार्यालय होगा
 विभिन्न ब्लॉक में बेसमेंट के अतिरिक्त जी प्लस 3 बिल्डिंग होगा
 इससे थ्री स्टार ग्रीन बिल्डिंग जैसा विकसित करने की योजना है
 नया सचिवालय भवन में अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए कैंटीन,रिफ्रेशमेंट रूम, स्टोर आदि की व्यवस्था होगी

 सचिवालय के कार्य

 सचिवालय के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं 

सचिवीय सहायता :-  राज्य सचिवालय के महत्वपूर्ण कार्य में से एक है मंत्री मंडल एवं उसकी विभिन्न समितियों को सचिवीय सहायता प्रदान करना 

 सूचना केंद्र के रूप में :-राज्य सचिवालय सरकार से संबंधित आवश्यक सूचनाओं को मंत्रिमंडल एवं उनकी विभिन्न समितियों तथा राज्यपाल को प्रेषित करता है
 मंत्रिमंडल की  बैठकों में लिए गए निर्णयों की सूचना भी वह संबंधित विभागों को भेजता है

समन्वयात्मक कार्य :- मुख्य सचिव विभिन्न समितियों का अध्यक्ष होने के नाते विभिन्न विभागों के बीच समन्वय स्थापित करता है

सलाहकारी  कार्य :-राज्य सचिवालय मुख्यमंत्री एवं अन्य मंत्रियों को नीतियों के निरूपण एवं संपादन में सलाह देता है

अन्य कार्य :- राज्यपाल द्वारा विधानसभा में दिए जाने वाले अभिभाषणों एवं संदेशों को तैयार करना 
वित्त विभाग के सलाह  से विभाग का बजट तैयार करना 
नियुक्ति, पदोन्नति, वेतन आदि के बारे में नियम बनाना 
➤विभागीय अधिकारियों-कर्मचारियों का चयन एवं प्रशिक्षण, पदस्थापन  एवं  स्थानांतरण इत्यादि













 











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