Jharkhand Ke Pramukh Udyan Aur Abhyaran
➤ बेतला राष्ट्रीय उद्यान
💨इसकी स्थापना -1986 में की गयी थीं।
💨इसका क्षेत्रफल - 231. 67 वर्ग किलोमीटर है।
💨भारत सरकार द्वारा बाघ परियोजना मुहिम चलाया जा रहा है।
💨विश्व में पहली बार बाघों की गणना 1932 ईस्वी में बेतला राष्ट्रीय उद्यान में कराई गयी थी।
💨रांची - डाल्टनगंज सड़क मार्ग पर रांची से लगभग 156 किलोमीटर की दूरी पर यह अभयारण्य स्थित है।
💨इस अभयारण्य के मुख्य जीव-जंतु में से रॉयल बंगाल टाइगर, हाथी, चीता, हिरण आदि प्रधान रूप से पाये जाते है।
💨पर्यटकों के ठहरने के लिए वन विभाग के विश्राम गृह सहित निजी होटल एवं रेस्ट हाउस का भी यहाँ इंतज़ाम है।
➤पालकोट अभयारण्य
💨इसकी स्थापना -1909 में की गयी थीं।
💨पलकोट अभयारण्य के चारों ओर से कई नदियां बहती हैं इन नदियों में शंख ,बाँकी, सिंजरा,पाईलमारा ,तोरपा है।
💨इस अभयारण्य में चीता, भालू, लकड़बग्घा, भेड़िया, सियार, बंदर, खरगोश आदि वन्य-पशु पाये जाते हैं ।
➤तोपचांची अभयारण्य
💨 सड़क मार्ग धनबाद से इसकी दूरी 37 किलोमीटर है।
💨तोपचांची अभयारण्य के बीच में एक खूबसूरत झील है जिसका नाम हरी पहाड़ी है ।
💨 इस अभयारण्य में चीता, जंगली सूअर, लंगूर, हिरण जैसे वन्य पशुओं को उनके प्राकृतिक रूप में देख सकते हैं ।
➤हजारीबाग अभयारण्य
💨इसकी स्थापना -1976 में की गयी थीं।
💨यहाँ पर विभिन्न तरह की प्राकृतिक वनस्पति एवं जीव जंतु पाए जाते हैं।
➤कोडरमा अभयारण्य
💨इसकी स्थापना -1976 में की गयी थीं।
💨177 पॉइंट 5 वर्ग किलोमीटर में घने साल वन में फैले इस अभयारण्य में सांभर, चीता , नीलगाय, जंगली सूअर, लंगूर, हिरण, खरगोश, मोर इत्यादि वन प्राणी प्रधान रूप से पाये जाते हैं ।
➤दलमा अभयारण्य
➤बिरसा जैविक उद्यान
💨इसमें विभिन्न प्रजातियों के जीव-जंतु, पशु-पक्षी एक बहुत विशाल क्षेत्र में फैले हुए, साल पेड़ों के वन के बीच प्राकृतिक अवस्था में रखे गए हैं ।
💨विशाल एकड़ क्षेत्र में फैले उद्यान भ्रमण करने के लिए वर्त्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा इको - फ्रेंडली गाड़ी भी प्रबंध कराई गई है, जिस पर सवार होकर जीव-जंतु को देखने का मजा ही कुछ और लगता है।
💨बच्चों के मनोरंजन के लिए यहाँ नौका-विहार भी है।
💨बिरसा जैविक उद्यान के निकट ही मुटा मगर प्रजनन केंद्र हैं, जिस जगह पर वैज्ञानिकों की देख-रेख में मगर प्रजनन कराया जाता है।
➤ बिरसा मृग विहार
💨मृग विहार के पास ही से एक पहाड़ी नदी निकलती है, जो उस जगह को वनभोज के लिए उपयुक्त बनाती है।
💨इस नदी पर एक के बाद एक दो पुल बना हुआ है यही कारण है की यह स्थान जोड़ा पुल के नाम से विख्यात है।
💨मृग विहार को विभिन्न प्रकार के हिरणों की आश्रय स्थली के रूप में विकास किया गया है।
➤उधवा पक्षी अभयारण्य
💨इसकी स्थापना -1991 में की गयी थीं।
💨यह लगभग 650 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तरित है।
💨यहां एक विस्तृत विशाल झील भी है, जो प्रवासी पक्षियों के निवास के लिए उपयुक्त है शरद ऋतु में इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए पुरे देश से पर्यटक एवं पक्षी प्रेमी यहां आते हैं।
💨यहां पर कबूतर, चन्दुल, वनमुर्गी, खंजन, बुलबुल, नीलकंठ पक्षी अधिक पाए जाते हैं।
💨राजमहल जीवाश्म अभयारण्य साहिबगंज जिले में है।