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Thursday, February 4, 2021

Jharkhand GK Question Answer Class-1

Jharkhand GK Question Answer Class-1


💥General Introduction of Jharkhand GK Q
uestion Answer:-  दोस्तों आज सभी के लिए झारखण्ड का समांन्य परिचय से सम्बंधित कुछ महत्वपूर्ण ऐसे प्रश्न और उनके उत्तर लेकर आये हैंइस Jharkhand GK Question Answer की पोस्ट में आपको ऐसे महत्वपूर्ण प्रश्नों का संग्लन मिलेगा।जो झारखंड की सभी परीक्षाओं और इंटरव्यू में आपके लिए सहायक सिद्ध होंगे। 

Q.1 झारखंड भारत का कौन सा राज्य है ?  - 28वा 

Q.2 झारखंड राज्य की उप राजधानी है ?   - दुमका 

Q.3 झारखंड राज्य का अक्षांशीय विस्तार है ?   21°58'10" से 25°19'15" सेंटीग्रेड

Q.4 झारखंड राज्य का देशांतरीय विस्तार है ?  - 83°19'  से 87°57'

Q.5 उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर झारखंड राज्य का विस्तार है ?  380 किलोमीटर

Q.6 पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर झारखंड राज्य का विस्तार है ?   - 463 किलोमीटर 

Q.7 क्षेत्रफल की दृष्टि से झारखंड राज्य का भारत में स्थान है ? - 15 वा 

Q.8 झारखंड राज्य का क्षेत्रफल है ? - 79,714 वर्ग किलोमीटर 

Q.9 झारखंड राज्य का कुल क्षेत्रफल भारत के कुल क्षेत्रफल का प्रतिशत क्या है ? -2. 42%

Q.10 झारखंड राज्य में अभी तक कुल कितने व्यक्ति मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए है ? - 06 

Q.11 झारखंड उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश कौन हैं ? - (डॉ) रवि रंजन

Q.12 झारखंड में कितने जिले हैं ? 24 

Q.13 झारखंड राज्य में कुल कितने संसदीय सीट है? - 20

Q.14 लोकसभा में झारखंड की कुल कितनी सीटें प्राप्त हैं ? - 14 

Q.15 झारखंड राज्य में कुल प्रखंडों की संख्या है ? - 264 

Q.16 झारखंड राज्य में राष्ट्रीय राजमार्गों की कुल लंबाई कितनी है ? - 3400 किलोमीटर 

Q.17 झारखंड राज्य निर्माण के समय राज्य में कुल जिलों की संख्या कितनी थी ? - 18 

Q.18 झारखंड राज्य के किस प्रमंडल में सर्वाधिक जिले हैं ?   - उत्तरी छोटानागपुर 

Q.19 झारखंड राज्य का सबसे बड़ा संसदीय क्षेत्र कौन सा है ?  - पश्चिमी सिंहभूम 

Q.20 झारखंड राज्य का सबसे छोटा संसदीय क्षेत्र कौन सा  है ? - चतरा 

Q.21 झारखंड राज्य में निवास करने वाली कुल अनुसूचित जनजातियों की संख्या कितनी है ? - 32 

Q.22 झारखंड राज्य का राजकीय पक्षी कौन सा है ?  - कोयल 

Q.23 झारखंड राज्य का राजकीय पशु कौन सा है ?    - हाथी

Q.24 झारखंड राज्य का राजकीय वृक्ष कौन सा है ?   साल 

Q.25 झारखंड का राजकीय फूल कौन सा है ?   - पलास 

Q.26 झारखंड राज्य का उच्च न्यायालय कहां स्थित है ? - रांची 

Q.27 झारखंड राज्य के गठन के बाद कितने जिलों का गठन किया गया है ? - 06 

Q.28 झारखंड राज्य के पुराने लोगो (logo) में कितने 'J' का प्रयोग किया गया था ? -04

Q.29 झारखंड राज्य की कुल जनसंख्या कितनी है ? - 3,29,88,134

Q.30 जनसंख्या की दृष्टि से झारखंड का भारत में स्थान कौन सा है ?  - 14वं

Q.31  झारखंड की जनसंख्या भारत की कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत है ? - 2.72 %(प्रतिशत)

Q.32 झारखंड राज्य की कुल जनसंख्या में महिलाओं का प्रतिशत कितनी है ?  - 48.68% 

Q.33 राज्य की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जाति का प्रतिशत लगभग कितनी है ? - 26%

Q.34 झारखंड राज्य का सर्वाधिक जनसंख्या वाला जिला कौन सा है ? रांची 

Q.35 झारखंड राज्य का न्यूनतम जनसंख्या वाला जिला कौन सा है ? - लोहरदगा 

Q.36 राज्य में 2001-11 के दौरान दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर कितना अंकित किया गया है ?  - 22.42%

Q.37झारखंड राज्य का जनसंख्या घनत्व है  - 414 

Q.38 झारखंड राज्य में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व वाला जिला कौन सा है ?  - धनबाद

Q.39 झारखंड राज्य में न्यूनतम जनसंख्या घनत्व वाला जिला कौन सा है ?  - सिमडेगा

Q.40 झारखंड राज्य में लिंगानुपात  है  - 949

Q.41 राज्य में सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला कौन सा है ?  पश्चिमी सिंहभूम

Q.42  झारखंड राज्य में न्यूनतम लिंगानुपात वाला जिला कौन सा है ? -धनबाद

Q.43 झारखंड राज्य में ग्रामीण लिंगानुपात है - 961

Q.44 झारखंड राज्य में शहरी लिंगानुपात है - 910

Q.45 झारखंड राज्य में शिशु लिंगानुपात है  - 948 

Q.46 जनगणना 2011 के अनुसार झारखंड की साक्षरता दर कितनी है ? - 66.40%

Q.47 झारखंड राज्य में सर्वाधिक साक्षरता वाला जिला कौन सा है ? - रांची 

Q.48 झारखंड राज्य में न्यूनतम साक्षरता दर वाला जिला कौन सा है ?  - पाकुड़ 

Q.49 झारखंड राज्य में सर्वाधिक महिला साक्षरता दर वाला जिला कौन सा है ?  - रांची

Q.50 झारखंड राज्य का गठन कब हुआ ?15 नवंबर 2000

Q.51 झारखंड राज्य का आकर कैसा है ? चतुर्भुज

Q.52 झारखंड में कितने सदन हैं ? 1 सदनीय 

Q.53 झारखंड का प्रथम मुख्यमंत्री कौन था ? बाबूलाल मरांडी

Q.54 झारखंड क्षेत्र स्वायत्त परिषद का गठन कब हुआ था ?  - 9 अगस्त 1995

Q.55 झारखंड किस राज्य से कटकर बना हैं ?  - बिहार

Q.56 झारखंड का स्थापना दिवस कब हैं ?15 नवंबर

Q.57 झारखंड राज्य में सर्वाधिक अनुसूचित जनजाति किस जिले में निवास करते हैं ? - रांची 

Q.58 झारखंड राज्य में न्यूनतम अनुसूचित जनजाति किस जिले में निवास करते हैं ?  - कोडरमा 

Q.59 झारखंड राज्य में सर्वाधिक अनुसूचित जाति किस जिला में निवास करते हैं ? - पलामू 

Q.60 झारखंड राज्य में न्यूनतम अनुसूचित जाति किस जिले में निवास करते हैं ?  - लोहरदगा

Q.61 झारखंड राज्य में गांव की कुल संख्या कितनी है ? - 32620

Q.62 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की पुरुष साक्षरता दर क्या है ? - 78.84% 

Q.63 कौन - सा शहर झारखंड की 'सांस्कृतिक राजधानी' के रूप में जाना जाता है ? -देवघर 

Q.64 झारखंड  पहली राजभाषा कौन सा है ? - हिंदी 

Q.65 झारखंड राज्य की 14 लोकसभा सीटों में कितनी सीटें अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षित है ? - 05

Q.66 दिसंबर 2004 ईस्वी से जुलाई 2009 ईस्वी तक झारखंड में सबसे लंबे समय तक पद पर बने रहने वाले राज्यपाल कौन थे ?  -सैयद सिब्ते रजी

Q.67 झारखंड के राज्यपाल कौन है ? - श्रीमति द्रोपति मुर्मू

Q.68  झारखंड के वर्त्तमान (2021) राज्य निर्वाचन आयुक्त कौन हैं ?  - (पूर्व मुख्य सचिव) देवेन्द्र कुमार तिवारी।


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Wednesday, November 11, 2020

संथाल विद्रोह 1855-56 (Santhal vidroh-1855-56)

Santhal vidroh-1855-56

➤19वीं सदी के जनजातीय विद्रोहों  में संथालों का विद्रोह (1855-56) ईस्वी सबसे जबरदस्त था,इसे 'संथाल हूल' भी कहा जाता है।  

➤'हुल' का शाब्दिक अर्थ है -विद्रोह /बगावत। 

दरअसल संथाली विद्रोह करते वक्त 'हुल- हुल' चिल्लाते थे जिसके चलते इसे 'संथाल हूल' की संज्ञा दी गई।  

इस विद्रोह का नेतृत्व चार मुर्मू बंधुओं -सिद्धू ,कान्हू, चांद और भैरव ने किया  

यह विद्रोह अंग्रेजों शासकों के खिलाफ तथा ब्रिटिश शासन के आधार स्तंभ जमींदारों एवं साहूकारों के खिलाफ था। 

इस विद्रोह को दबाने में कंपनी सरकार को अत्यधिक श्रम करना पड़ा। 

कारण:-

इस विद्रोह के कारण उस युग की परिवर्तनीय अवस्थाओं में निहित थे 

आर0 सी0  मजूमदार के शब्दों में,  'संथाल विद्रोह आर्थिक कारणों से आरंभ हुआ लेकिन शीघ्र ही उसका उद्देश्य विदेशी शासन का अंत हो गया, क्योंकि उन्होंने यह देखा कि अंग्रेज अधिकारी उनकी शिकायतों पर  तनिक भी ध्यान नहीं देते हैं

वह तो शोषकों को प्रश्रय देते हैंअतएव  ब्रिटिश शासन का अंत ही उनकी स्थिति सुधार सकता है'

संथाल विद्रोह का प्रमुख कारण अंग्रेजी उपनिवेशवाद और उसमें निहित शोषण, बंगाली एवं  पछहि महाजनों तथा साहूकारों का शोषण था 

यह विद्रोह गैर आदिवासियों को भगाने उसकी सत्ता समाप्त कर अपनी सत्ता स्थापित करने के लिए छेड़ा गया था 

जमींदारों की अत्यधिक मांग:-

संथाल लोग हजारीबाग और मानभूम से राजमहल पहाड़ियों के इलाके में आकर बस गए थे

धीरे-धीरे राजमहल से लेकर भागलपुर के बीच का क्षेत्र,जो दामन-ए-कोह (पर्वत का दामन /आंचल अर्थात पहाड़ों के नीचे की भूमि/ पर्वतपदीय भूमि) के नाम से जाना जाता था, संथाल बहुल क्षेत्र बन गया

सीधे-साधे मेहनतकश संथालों ने कड़ी मेहनत से जंगलों को काट कर भूमि कृषि योग्य बनाई 

➤शीघ्र ही जमींदारों ने इस भूमि के स्वामित्व का दावा कर दिया 

इन पर बहुत ज्यादा लगान  लगा दिया  

बाद के वर्षों में लगान की दरें बढ़ कर 3 गुनी अधिक हो गई  

पैतृक भूमि को छोड़कर यहां आकर बसने वाले संथालों के दुखों का दुनिया में जैसे कहीं अंत न था

जमींदारों की अत्यधिक मांग से तंग आकर संथालों  ने विद्रोह का झंडा उठा लिया 

महाजनों का ऋणी जाल:-  

मालगुजारी नगदी देनी होती थी जिस कारण संथालों का महाजनों से ऋण लेना पड़ता था जिस पर भारी ब्याज चुकाना पड़ता था जो मूल ऋण  का 50% से 500% तक  हुआ करता था 

➤संथालों  द्वारा ऋण की अदायगी नहीं किए जाने पर ये सूदखोर महाजन उनके मवेशियों को खोल  ले जाते थे तथा उनके खेत खलिहानों  पर कब्जा कर लेते थे 

इस प्रकार सूदखोर महाजनों ने ऋण- जाल का फंदा तैयार कर दिया था, जिसमें संथाल फंसते चले गए

इससे भी खराब बात यह थी कि वे उनकी स्त्रियों की इज्जत लूट लेते थे 

पुलिस व न्यायालय का पक्षपात:-

जमींदारों वह महाजनों के खिलाफ संथालों  ने पुलिस को न्यायालय की शरण लेने की कोशिश की लेकिन सब व्यर्थ साबित हुआ क्योंकि वे ब्रिटिश साम्राज्यवाद के ही शोषण की उपकरण थी और वे जमींदारों-महाजनों का ही पक्ष लेते थे

जमींदारों, महाजनों  आदि की पुलिस व न्यायालय से मिली-भगत ने संथालों की मुश्किलों को और भी बढ़ा दिया 

स्पष्ट था कि संथालों  की पुलिस, न्यायालय- कहीं भी कोई सुनवाई न थी,अतएव वे अंग्रेजी सरकार के भी खिलाफ हो गए

तत्कालीन कारण:-

सरकार द्वारा भागलपुर से वर्तमान के बीच रेल बिछाने के काम में संथालों  से बेगारी करवाना :  संथालों की मुसीबत उस समय और बढ़ गई जब सरकार ने भागलपुर-वर्दमान  रेल परियोजना के तहत रेल बिछाने के काम में संथालों  को बड़ी संख्या में बेगार करने के लिए मजबूर किया

जिन लोगों ने ऐसा करने से इनकार किया, उन्हें कोढ़ो से पीटा गया संथालों ने इसका प्रतिहार करने का निश्चय किया  

उन्होंने रेलवे ठेकेदारों के ऊपर हमले किए और रेल परियोजना में लगे अधिकारियों व इंजीनियरों के तंबू उखाड़ दिए गए

संथाल विद्रोह का मुख्य उद्देश्य:-

➤देकुओं अर्थात दिक् (परेशान) करने वाले बाहरी लोगों को भगाना

विदेशियों का राज हमेशा के लिए खत्म करना तथा

सतयुग का राज- न्याय व धर्म का अपना राज्य (आबुआ राज्य) स्थापित करना 

परिणाम:-

संथाल विद्रोह के निम्नलिखित परिणाम हुए-- 

भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों, महाजनों व जमींदारों के मन में भय व्याप्त हो गया और उनकी लूट -खसोट कुछ दिनों के लिए थम गई 

कंपनी सरकार ने अपनी प्रशासनिक व्यवस्था में व्यापक फेर-बदल और सूधार किये ,इस प्रकार नये नियमों के कारण शासक और स्थानीय लोगों में सीधा संपर्क स्थापित हुआ

एल0 एस0  एस0 ओ0 मुले ने संथालों के विद्रोह को मुठभेड़ की संज्ञा दी है

➤जबकि कार्ल मार्क ने इसे 'भारत की प्रथम जनक्रांति' माना है, जो अंग्रेज़ हुकूमत को तो नहीं उखाड़ 
सकी पर सफ़ाहोड़ आंदोलन को जन्म देने का कारण जरूर बन गई 

इस विद्रोह के दमन के बाद संथाल क्षेत्र को एक अलग नॉन रेगुलेशन जिला बनाया गया ,जिसे  संथाल परगना का नाम दिया गया 

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Saturday, September 12, 2020

Jharkhand Ki Janjatiya Shasan Vyavastha Part-2(Jharkhand Tribal Governance)

झारखंड की जनजातीय शासन व्यवस्था PART-2

(Jharkhand Tribal Governance)

नागवंशी शासन व्यवस्था


प्रथम शताब्दी 64 ईसवी में मुंडाओं  की राजव्यवस्था नागवंशियों को हस्तांतरित हुई है


Jharkhand Ki Janjatiya Shasan Vyavastha Part-2(Jharkhand Tribal Governance)

 नागवंशियों के प्रथम राजा फनी मुकुट राय ने पड़हा व्यवस्था को समाप्त नहीं किया ना ही कोई परिवर्तन किया, बल्कि इसे विस्तार देने का ही प्रयास किया।

 फनी मुकुट राय ने नागवंशी राज्य की स्थापना की  थी

फनी मुकुट राय पहला नागवंशी  राजा थे

फनी मुकुट राय के राज्य में  66 परगने थे 

नागवंशी राजा फनी मुकुट राय को नागवंश का आदिपुरुष माना जाता है

 सुतयाम्बे  को नागवंशी राजा फनी मुकुट राय ने अपनी राजधानी बनायी 

रांची स्थित  जगन्नाथ मंदिर  का  निर्माण नागवंशी शासक एनीशाह  1961 ईस्वी में बनवाया था 

 नागवंशियों के समय में भी पहले के जैसा कर व्यवस्था, भू -व्यवस्था और शासन व्यवस्था,मुण्डाओं की तरह  के चलते रहे

इस व्यवस्था में पहली शताब्दी से लेकर 16वें शताब्दी तक कोई परिवर्तन नहीं हुआ 

लेकिन इस परंपरा में पहला  प्रभावकारी हस्तक्षेप मुगलों के आक्रमण काल से अर्थात 1585 ईस्वी से शुरू हुआ 

मुग़ल सेना यहां के राजाओं से नजराना लेने लगी और बाद में धीरे-धीरे एक नियमित रूप धारण कर लिया,जिसे मालगुजारी कहा जाने लगा  

नागवंशी काल व्यवस्था में कर या मालगुजारी लेने की प्रथा साधारण बात नहीं थी  उस समय नागवंशी राजाओ को पुरे राज्य की मालगुजारी देना असंभव होने लगा 

1616 ईस्वी में कर नहीं  दे पाने के कारण छोटानागपुर ख़ास के महाराजा दुर्जनसाल को कैद कर ग्वालियर के किले में 12 वर्षों तक जहांगीर द्वारा रखा गया था 

 ₹6000 रूपये सालाना कर देने की सहमति के आधार पर दुर्जनसाल को कैद से आजाद किया गया 

 नागवंशी राजाओं पर कर बढ़ता चला गया, लेकिन यहाँ प्रजा से कर लेने का रिवाज़ नहीं था। 

लेकिन लगातार बढ़ते कर को देखकर नागवंशी राजाओं ने अपने व्यवस्था को बदलकर लोगों से कर लेना शुरू कर दिया।  

 नागवंशी राजाओं ने पड़हा  के प्रमुख मानकियों  को भुईहर कहा गया और मालगुजारी वसूल करने का आदेश दिया गया।   

समय के साथ में राजाओं ने अपने अलग जागीदार रखे और उसे मालगुजारी वसूलने के लिए प्राधिकृत   किया।   

 इससे भुईंहरों की स्थिति और भी दयनीय हो गई।  जागीरदार कर बसूलता था किंतु कर नियमित रूप से नहीं दिया जाता था, यह तभी दिया जाता था,जब कोई मुगल बादशाह मांग करता था 

इस अनियमित कर व्यवस्था को नजराना या पेशकश  कहा जाता था।  

अंग्रेजों का आगमन मुगलों के बाद 1765 में दीवानी मिलने के बाद हुआ।  

अंग्रेजों का आगमन के साथ ही  इस क्षेत्र को पटना काउंसिल की व्यवस्था में फोर्ट विलियम के अधीन रखा

 इस क्षेत्र को 1773 ईस्वी तक कोई नियमित कर नहीं मिला 

तब नागपुर खास के लिए एस0 जी0 हृटली को प्रथम सिविल कलेक्टर नियुक्त किया गया, परन्तु  इससे भी कर संग्रहण में सफलता नहीं मिली 

अंग्रेजों ने क र वसूलने की कई और तरीके अपनाए फिर भी उन्हें पूर्ण सफलता नहीं मिली। 

कर नियमित वसूली के लिए 1973 ईस्वी में स्थायी बंदोबस्ती के बहाने राजा  महाराजाओं को जमींदार  दिया  गया  

इस समय एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ था जागीरदारी प्रथा जमींदारी प्रथा में बदल गया 

 इस व्यवस्था से प्राचीन काल से चली आ रही मुण्डाओं और नागवंशियों  की राज व्यवस्था समाप्त हो गए  

इसके बाद अंग्रेजों की विधि व्यवस्था की शुरुआत होती है।  

राजा-महाराजा अंग्रेजों  के लिए कर वसूलने वाले मात्रा रह गए थे ।  

नए कानूनों एवं नियम आने लगे जिसमें यहां के राजा-महाराजा,मुंडा मानकी ,पड़हा पंचायत समाप्त हो गए।   

पुरे  देश के साथ-साथ छोटानागपुर अंग्रेजों के अधीन हो गया और नागवंशी राजाओं की राज व्यवस्था खत्म हो गई। 

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